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ज़ुदा होना तय हो गया

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Hindi Poetry

जिस दिन सनम तेरा मेरा ज़ुदा होना तय हो गया,

मुझको शहर-बदर की सज़ा होना तय हो गया.

तेरे ख़त होंगे ये, मेरे हँसने-रोने का सबब,

दर्द ही बस दर्द की दवा होना तय हो गया.

सीख्नना ही होगा उड़ना अब सरकना छोड़ कर,

इस जमीन का आसमां होना तय हो गया.

आदमी को आदमी होने को सदियां चाहियें

पत्थर का एक पल में देवता होना तय हो गया.

इनकी छांव से भी अब होने लगी सबको घुटन,

आँगन के दो दरख़्तों का विदा होना तय हो गया.

                                        – चंदन    

6 Comments

  1. Harish Chandra Lohumi says:

    चन्दन भाई, अगर यूँ ही कभी-कभार खिड़की से झांक कर ही चले जाओगे तो जुदा होना तो तय ही है ।
    बहुत दिनों बाद एक बहुत अच्छी रचना !!! बधाई !!!

  2. Vishvnand says:

    वाह क्या बात है
    “आदमी को आदमी होने को सदियां चाहियें
    पत्थर का एक पल में देवता होना तय हो गया” …लाज़वाब .
    शेरों से सुन्दर सजी इस ग़ज़ल को
    पढ़ के दिल का झूमना तय हो गया …

    • chandan says:

      आपको पसंद आई लिखना सफल हुआ, हार्दिक धन्यवाद

  3. prachi sandeep singla says:

    veryyy nice 🙂

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