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अबकी बार!

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Hindi Poetry

अबकी बार आओ तो
बातों में हसी नहीं
आँखों में चमक लाना तुम
जिसकी रौशनी में
अपने आप को पहचान सकू!

अबकी बार आओ तो
माथे पर बल नहीं
मुश्किलों का हल लाना तुम
जिसके सहारे मैं
अपना आसमान छू सकू!

अबकी बार आओ तो
आँखों की नमी छुपाना ना तुम
कोरे, धुले मन में
शायद कही मैं
अपना नाम ढूंढ़ सकू!

अबकी बार आओ तो
मीठी यादों के साथ-साथ
खट्टी झलकिया भी लाना तुम
इस घुली-मिली चासनी में
मैं खुद को भीगो सकू!

जो अबकी बार आना तुम
सब बदल देना तुम…!

6 Comments

  1. rajiv srivastava says:

    AAmeen!————– bahut sunder aur manbhavan rachna——–badhaye

  2. sushil sarna says:

    A lovely creation with a depth-liked very much-Rachna jee badhaaee

  3. dr.paliwal says:

    अबकी बार आओ तो
    माथे पर बल नहीं
    मुश्किलों का हल लाना तुम

    वाह ! क्या बात है बहुत खूब……. बहुत सुन्दर रचना…..

  4. Harish Chandra Lohumi says:

    अबकी बार आओ तो
    एक कशमकश नहीं,
    सब कसमसाते सवालों का,
    बिन्दास उत्तर लेते आना तुम,
    जिसके सहारे मैं
    अहम फ़ैसला ले सकूँ !!!

    बहुत अच्छी रचना, रचना जी !

  5. pallawi says:

    bohut achchi rachna !!

  6. premkumarshriwastav says:

    बहुत सुन्दर रचना है …

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