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अबकी बार!
Hindi Poetry |
अबकी बार आओ तो
बातों में हसी नहीं
आँखों में चमक लाना तुम
जिसकी रौशनी में
अपने आप को पहचान सकू!
अबकी बार आओ तो
माथे पर बल नहीं
मुश्किलों का हल लाना तुम
जिसके सहारे मैं
अपना आसमान छू सकू!
अबकी बार आओ तो
आँखों की नमी छुपाना ना तुम
कोरे, धुले मन में
शायद कही मैं
अपना नाम ढूंढ़ सकू!
अबकी बार आओ तो
मीठी यादों के साथ-साथ
खट्टी झलकिया भी लाना तुम
इस घुली-मिली चासनी में
मैं खुद को भीगो सकू!
जो अबकी बार आना तुम
सब बदल देना तुम…!
AAmeen!————– bahut sunder aur manbhavan rachna——–badhaye
A lovely creation with a depth-liked very much-Rachna jee badhaaee
अबकी बार आओ तो
माथे पर बल नहीं
मुश्किलों का हल लाना तुम
वाह ! क्या बात है बहुत खूब……. बहुत सुन्दर रचना…..
अबकी बार आओ तो
एक कशमकश नहीं,
सब कसमसाते सवालों का,
बिन्दास उत्तर लेते आना तुम,
जिसके सहारे मैं
अहम फ़ैसला ले सकूँ !!!
बहुत अच्छी रचना, रचना जी !
bohut achchi rachna !!
बहुत सुन्दर रचना है …