« »

कविता कवि से……

2 votes, average: 3.00 out of 52 votes, average: 3.00 out of 52 votes, average: 3.00 out of 52 votes, average: 3.00 out of 52 votes, average: 3.00 out of 5
Loading...
Hindi Poetry

कवि बुनता है ताना-बाना,

कविता वो बन जाती है,

कवि सोचे मैंने रचना की है,

कविता यह सुन शर्माती है

 

शब्दों का खेल निराला है ,

अनायास आ जाते हैं

चुन-चुन कर क्रम से जोड़ो ,

तुकबंदी का ध्यान रखो

मात्राओं की गलती ढूंढो खुद, 

भावनाओं का मान रखो,

कविता तब बन पाती है,

और आप कवि कहलाते हैं

 

नख-शिख वर्णन सुना कभी क्या

स्त्री श्रृंगार का सुन्दर चित्रण

बुद्धि-कौशल और विवेक जुटाकर

नियमों का पालन तुम करना

सुन्दर रचना का सृजन फिर होगा

कृति तब ही सिद्ध होगी विलक्षण

 

हे मानव क्यूँ है बदल दिया

मेरा सुन्दर स्वरुप यह तुमने

अध्धयन  कर, लेखनी निखारो

मत दो मेरा आकर्षण गुमने

 

हे! कवि विनती है तुमसे,

मत दो मेरा आकर्षण गुमने ………..

 

 

4 Comments

  1. rajiv srivastava says:

    kavi kavita ko janam deta hai,kavita kavi ko panchan deti hai.—bahut khoob likha .badhai nitin ji .

  2. Vishvnand says:

    सुन्दर रचना, अलग नजरिया
    कविता कवि से चाहे क्या
    यह अंदाज़ भी मन भाया

Leave a Reply