« एक और ख्वाब | I Wait…. » |
भविष्य!
Hindi Poetry |
धुंधला-धुंधला सा
आड़ा-तिरछा
गूंगा-बहरा
सच्चा-झूठा
सोचता-समझता
मुझमे ही कही बंद है
मेरा भविष्य!
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Hindi Poetry |
धुंधला-धुंधला सा
आड़ा-तिरछा
गूंगा-बहरा
सच्चा-झूठा
सोचता-समझता
मुझमे ही कही बंद है
मेरा भविष्य!
very expressive..
भविष्य का ऐसा रंग-रूप … पहले कभी सोचा न था ।
मै हरीशजी से सहमत हूँ…..