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सृष्टि एक कशमकश !

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Hindi Poetry, Nov 2010 Contest

सृष्टि के अंतरंग मे ,

समाहित  है कशमकश ,

कभी उत्थान है, प्रगति है  ,

कभी पतन है, छति  है !

सुर्य,चंद्रमा, और धरती ,

की परिधि मे है कशमकश ,

कभी सूर्या लुप्त तो सूर्यग्रहण ,

कभी चंदा विलुप्त तो चंद्रग्रहण !

ऋतुओ की अवधि और ,

समायोजन मे है कशमकश ,

कभी सुखद है,हितकारी है ,

कभी विनाशक है महामारी है !

धरती से फसल की ,

उत्पति  है कशमकश ,

कभी लहलहते खेत है ,उन्नति है ,

कभी भीषण सूखा है,दुर्गति है !

शिशु के जन्म मे ,

हर पल है कशमकश ,

कभी ये लिंग की कल्पना है ,

कभी रंग रूप की विवेचना है !

मृत्यु और पूनर्जन्म ,

मे उलझी है कशमकश ,

एक दुख है,रोष है ,

तो एक आश् है,संतोष है !

एक आनाथ बालक की  ,

जिंदगी है कशमकश ,

कोई अपनाए तो उद्धार है !

सब ठुकराएँ तो तिरस्कार है  !

विवाह मे जीवनसाथी ,

का चयन है कशमकश ,

अनुकूल है तो प्रकाश है ,

प्रतिकूल है तो विनाश है !

परीक्षा का परिणाम ,

अजीब है कशमकश ,

सफल है तो उल्लास है ,

असफल है तो हताश है !

इंसान की फ़ितरत ,

अप्रत्यक्ष सी कशमकश ,

कभी सभ्य है,शिष्टाचारी है ,

कभी अशभ्य है,दूराचारी है !

जीवन के हर पल के ,

साथ चले कशमकश ,

कभी आनंद है,आशा है ,

कभी दुख है,निराशा है !

डॉक्टर राजीव श्रीवास्तवा

14 Comments

  1. Harish Chandra Lohumi says:

    सृष्टि एक कशमकश !
    किसी का कहाँ इस पर कोई वश !

    अच्छी रचना रजीव जी !!!

  2. Vishvnand says:

    कविता का अंदाज़ और विवरण बहुत मनभाया .
    हाँ, स्रष्टि और उसके व्यवहार हैं जरूर इक अद्भुत कशमकश
    जिसे हम समझते यश वही कभी रहता अपना अपयश
    और जब लगता मिला अपयश वही दे जाता असली यश
    सच बन जाता झूठ और झूठ मंडराता जैसे हो असली सच …..

  3. rajivsrivastava says:

    shristi ki kashmakash ko samajh pana insaan ki sooch se bahar hai.Tabhi to kahti hai ki insaan ka kudrat ke aage koi joor nahi chalta—thanks a lot sir

  4. amit478874 says:

    What a poem Rajeev..! I liked it very much..! Nice presentation..! Nice coordination..! Over all nice thoughts…! All the best, I hope you’ll win the contest this month..!

    • rajivsrivastava says:

      @amit478874, wow! aap ne kah diya hum jeet gaya yaar.aur kya chahiye

      Hum to likhte hai apno ke dil main jagah pane ke liye
      jo likhte sirf jeetne ke liye to ajnabee ban kar rah jate .

      • amit478874 says:

        @rajivsrivastava, आप का विचार ज़रूर सराहनीय है राजीव…! हर बड़ा और और अच्छा इंसान आप की तरह ही सोचता है..! लेकिन एक बात है, कभी कभी victory और appreciation भी हमें नए आयामों को पाने की शक्ति और उमंग देते है..! 🙂

  5. vibha mishra says:

    अति उत्तम रचना ………..बढ़िया ….हार्दिक बधाई राजीव

  6. khushi varma says:

    wow!!!!!!!beautiful poem!!!!!!! kkep it up!!! wish u luck……….

  7. khushi varma says:

    truly mersmerising veres sir!!!!!!!! gr8 job……..

  8. nitin_shukla14 says:

    राजीव,
    सर्वप्रथम तो आपकी इतनी खूबसूरत और गहन विचारों वाली रचना पर मेरी हार्दिक बधाईयाँ स्वीकारें क्योंकि मैं ऐसा मानता हूँ कि इतने सारे भिन्न-भिन्न विचारों को शब्दों में ढाल कर काव्य का रूप देना कोई सरल बात नहीं है और आपने यह काम बहुत ही खूबसूरती से किया है
    अब अगर हम विषय कि बात करें और उसे प्रकृति से जोड़ें तो मुझे व्यक्तिगत रूप से ऐसा लगता है कि इसका विषय कशमकश नहीं हो सकता क्यूंकि प्रकृति तो परिवर्तन का दूसरा रूप है, जिसमे अस्थिरता का वास है
    अन्त में आपने मानव जीवन के बारे में भी कुछ लिखा है वह भी कशमकश का अंदेशा नहीं देता, वह तो अनपेक्षित है
    कशमकश का अर्थ है दुविधा और दुविधा को अगर अच्छी तरह समझें तो वह है – “एक समान रूप से अवांछनीय विकल्पों के बीच एक विकल्प की आवश्यकता की स्थिति”
    उम्मींद है आप इसे आलोचना न समझेंगे,सलाह समझकर ही स्वीकारें या अस्वीकारेंगे
    धन्यवाद

  9. rajiv srivastava says:

    sarvapratham to bahut bahut dhanyavad Nitin ji | yahan sayad vicharo ki aur samajh ki kashmakash ki baat utpann ho gaye hai .Kashmakash bhi ek vayaktigat soch hai .koi kissi baat main kashmakash mahsoos karta hai ,to koi use yu hi swekaar leta hai .Darasal kashmakash manav ke soch ki upaj hai .jo mujhe kashmakash laga sayad aap ko usme koi kashmakash nahi laga .yahi to sabse badi kashmakash hai is rachna main .isle main samajhta hu ki ye kashmakash hi hai .pankiyo ke pahle 2 bhago main kaskmakash liki hai aur baki do bhafo main unke paristhiti likhi hai–thanks

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