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हर रोज़…एक नयी “कशमकश” है…!

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Hindi Poetry, Nov 2010 Contest

जीवन के हर मोड़ पर,
शुरुआत से ले कर अंत तक, हर रोज़..
एक नयी “कशमकश” है…!

जब होना होता है शिशु का जनम,
तो “बेटा होगा – कि फिर बेटी होगी..?”
इसे ले कर “कशमकश” है…!

शिशु के जनम हो जाने के बाद,
“अब उसका क्या नाम रखे…?”
इसे ले कर “कशमकश” है…!

बड़ी कशमकश के बाद,
चलो आखिर कार उसका नाम रख दिया “मुन्ना”,
लेकिन यह “मुन्ना” बड़ा हो कर क्या करेंगा…?
अब इसे ले कर “कशमकश” है…!

आखिर कार “मुन्ना” बड़ा तो हो गया,
अब वह शादी कब करेंगा…?
और किस से करेंगा…?
अब इसे ले कर “कशमकश” है…!

बड़ी कशमकश के बाद,
चलो “मुन्ने” कि शादी भी करवा दी,
लेकिन अब “मुन्ने” के पापा को,
“वह ‘नाना’ कब बनेंगे…?”
इसे ले कर “कशमकश” है…!

‘पापाजी’ जल्द ही ‘नानाजी’ तो बन गए,
लेकिन अब एक तरफ अपने बेटे को ले कर,
तो दूसरी तरफ अपने पोते को लेकर,
“कैसे करेंगे एक साथ दोनों की परवरिश…?”
अब इसे ले कर “कशमकश” है…!

जब ‘नानाजी’ बूढ़े हो गए,
तो “क्या बेटा रखेंगा उनका ख़याल…?”
अब इसे ले कर “कशमकश” है…!

ज़िन्दगी के अंत समय पर,
न जाने अब “मृत्यु” कब आएगी…?
इसे ले कर “कशमकश” है…!

आखिर कार इस सभी “कशमकश” से,
कैसे छुटकारा पाया जाए…?
इसे ले कर “कशमकश” है…!

जीवन के हर मोड़ पर,
शुरुआत से ले कर अंत तक, हर रोज़..
एक नयी “कशमकश” है…!

-अमित टी. शाह (M.A.S.)
19th November 2010

6 Comments

  1. rajiv srivastava says:

    wah Amit ji aap ne baccha paida kiya aur bada kiya aur marghat tak pahuncha diya par kashmakash khatam nahi hui aur na hi hogi ,marne ke baad bhi swarg ya nark ki kashmakash phir punar janam ki kaskhakash— ham sabh kashmakash main pad gaye hai –jab se ye topic announce hua hai—-bahut khoob badahai

  2. Vishvnand says:

    Nice one.
    Liked the attempt.

    “जीवन के हर मोड़ पर,
    शुरुआत से ले कर अंत तक, हर रोज़..
    एक नयी “कशमकश” है…!”
    और फिर मृत्यु के बाद भी क्या होता है
    ये एक बहुत बड़ा अचंभा और कशमकश …

  3. BHARAT says:

    so nice amit dear i love your poem

  4. BHARAT says:

    so nice amit dear keep it up
    kindly put some gujarati poem

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