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भूल गए कर्तव्य

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Hindi Poetry


कर्तव्य भूली है आज की नई पीढ़ी,
दूध छोड़ा और पीने लगी है अब सिगरेट-बीड़ी।
पग-पग रखती नहीं, चढ़ना चाहती है सीढ़ी दर सीढ़ी,
कर्तव्य भूली है आज की नई पीढ़ी।।

धर्म भूली और याद है, अधर्म के व्यवहार,
शांति तो हुई कोसों दूर, कूटनीति में रंग गए विचार।
रोटी छोड़, दाल छोड़ खाने लगी है आज पिज्जा-बर्गर,
कर्तव्य भूली है आज की नई पीढ़ी।।

समय की कीमत न जानी, ना जाना समय बलवान,
सुख को जाना पर, दुःख को ना आया अपनाना।
बाहरी रूप पर रहे फिदा, मन की सुंदरता को ना पहचाना
कर्तव्य भूली है आज की नई पीढ़ी।।

11 Comments

  1. rajiv srivastava says:

    ati sunder rachna bhaopoorn–badahai

  2. Harish Chandra Lohumi says:

    कहीं-कहीं पर लय कुछ सुधार सी मांगती लग रही है लेकिन कविता के भाव, लय पर बीस हैं…बधाई !!!

  3. KISHAN says:

    sundar kavita ……..! jai shree krishna

  4. Ashu says:

    Aachae vichar hai..
    is kavita ko aur bhi aacha bana sakti hai yadi aap antim do paragraph kae aakhiri do panktiyon par thoda dhayan den..
    yae mere niji vichar hain,ho sakta hai mae galat hun..kripya anyatha na laen..

  5. anju singh says:

    आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद…
    प्रशंसा के लिए मै आपकी अति आभारी हूँ..
    कहते है कि जो आप को नोटिस करता है वही आप की कमी को भी बताता है… और मुझे ख़ुशी है आप ने मुझपर यह उपकार किया… इसलिए मैं आप सब की आभारी हूँ… बस आगे भी इसे तरह से मेरा मार्गदर्शन करते रहना …
    धन्यवाद …

  6. Vishvnand says:

    रचना बहुत अर्थपूर्ण, भावपूर्ण, सहज सरल
    और विषय पर उत्कृष्ट और मनभावन सी लगी ….
    हार्दिक प्रशंसा के पात्र और अभिनन्दनपर

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