« नयी कोंपल अभी भी फूटती है भले ही खोखला चाहे तना है. | मज़ा नहीं आया ना… » |
अकेले तय नहीं होता सफ़र उनको बता देना.
Crowned Poem, Hindi Poetry |
अकेले तय नहीं होता सफ़र उनको बता देना.
जुबां कहने न गर पाए निगाहों से जता देना.
ये तुम भी जानते हो आदमी गलती का पुतला है,
नज़र अंदाज़ कर पाओ तो कर मेरी खता देना.
तुम्हारा आशियाँ अल्लाह रक्खे ता-अज़ल कायम, ta-azal sansar rahne tak
कभी आये भी तुम तक बर्क़ तो मेरा पता देना. barq-bijlee
गवाही दिल नहीं देता कि दिल तोडूं तुम्हारा मैं,
जवाब आता है मुझको भी,न मैं पर चाहता देना.
बहुत आसान है मजलूम को मिल कर सता देना.
सुकूं मिस्कीन को कोई ही कोई जानता देना. sukoon-shanti,miskeen-dukhee
तुम्हारा आशियाँ अल्लाह रक्खे ता-अज़ल कायम,
कभी आये भी तुम तक बर्क़ तो मेरा पता देना.
क्या बात है जी…बहुत ही शानदार रचना… 🙂
(5 *****) सप्रेम भेंट… 🙂
@P4PoetryP4Praveen, धन्यवाद प्रवीण जी.
bahut khub sir…
@anju singh, आप की प्रतिक्रिया के लिए आभार स्वीकारें.
बेहतर ग़ज़ल है.
@neeraj guru, I am obliged सर.
बहुत खूब सर
@Abhishek Khare, प्रशंसा के लिए शुक्रिया भाई .
बहुत अच्छे, बहुत मन भायी
हार्दिक बधाई
“गवाही दिल नहीं देता कि दिल तोडूं तुम्हारा मैं,
जवाब आता है मुझको भी, न मैं पर चाहता देना”…..वाह बहुत खूब
@Vishvnand, विश्व जी आप द्वारा प्रशंसा मायने रखती है, धन्यवाद.
गवाही दिल नहीं देता कि दिल तोडूं तुम्हारा मैं,
जवाब आता है मुझको भी,न मैं पर चाहता देना…
इतना पसंद आया कि अपना स्टेटस मेसेज बना लिया बा-हक,
इजाज़त बा-इत्तेला अब पूछ लेता हूँ जनाब से 😉
@Reetesh Sabr, शौक़ से .शुक्रिया भाई रीतेश जी.
@siddhanathsingh, i would also like 2 ask d same thing,,can i make it my status msg also??
@prachi sandeep singla, ब-शौक़,prachi.
@siddha Nath Singh, सादर आभार सहित धन्यवाद 🙂
इस शानदार ग़ज़ल के लिए इसके रचियता ही नहीं अपितु p4poetry के Moderators और सम्पादक मंडल भी बधाई के पात्र हैं जिन्होंने समय से मूल्यांकन कर रचना की ताजपोशी की है . अक्सर ऐसा पाया गया है की रचनाएं p4poetry के मुखपृष्ठ को छोड़ चुकी होती हैं तब उनको Crown नसीब होता है. मुखपृष्ठ को सुशोभित करने वाली इस मनभावन ग़ज़ल के रचियता और p4poetry के समस्त पारिवारिक सदस्यों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिये हार्दिक बधाइयां और धन्यवाद .
@Harish Chandra Lohumi, आप के सौहार्द्रपूर्ण वचनों के लिए आभार भाई हरीश जी.
नहीं आया ! बिलकुल मज़ा नहीं आया ! इतने महीनों तक नहीं दिखायी देंगे तो कैसे मज़ा आ सकता है ? सर जी ! इस स्पीड से इधर उधर ही न घूमते रहिये ! एकाध बार इधर भी रुख कर लिया कीजिए .
मूड फ्रेश करने वाली रचना . बधाई !!!
@Harish Chandra Lohumi, Kindly ignore above comment. It has been posted here by mistake.
Dear S.N. Saahab if possible, kindly delete this comment from here. Sorry for inconvenience.
@Harish Chandra Lohumi, कहा है न कि इंसान गलती का पुतला है.
बहुत खूब मनभावन..
गवाही दिल नहीं देता कि दिल तोडूं तुम्हारा मैं,
जवाब आता है मुझको भी,न मैं पर चाहता देना.
@Sinner, थैंक्स,फॉर appreciation
बोहुत पसंद आई सर!!
@pallawi, इनयात का शुक्रिया.
veryy nice sir 🙂
@prachi sandeep singla, thanks,prachi,बहुत दिनों के बाद दिखीं ,खैरियत तो है.
@siddha Nath Singh, आपका ये प्रत्युत्तर पढ़ के अच्छा लगा,,सब ठीक बस इस नए साल से पहले हमने हमारी दादी को खो दिया…still trying 2 recover from dat loss….so absent 4m d site 4m a long tym…will soon try 2 post a poem also…
बहुत अच्छी ग़ज़ल, एस. एन. मज़ा आ गया.
@U.M.Sahai, बहुत बहुत धन्यवाद सर.