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अभी मैं स्वतन्त्र नहीं..
Hindi Poetry |
मंदिर की सीढियों पर एक भी भूखा
जिस दिन मेरी राह ना रोकेगा,
१५ अगस्त के दिन कोई बच्चा जब
ट्राफिक सिग्नल पे तिरंगे ना बेचेगा,
उस दिन स्वतंत्रता-दिवस मैं मनाउंगी A
सिटी-बस में “महिला आरक्षित”
सीट पे मैं जिस दिन बेठुंगी ,
जेवर लदी रात को घर
सुरक्षित मैं जिस दिन लौटूंगी,
उस दिन स्वतंत्रता-दिवस मैं मनाउंगी A
मेरा सरकारी काम जिस दिन
बिना खिलाये निबट जायेगा ,
कोर्ट-केस अगर जो मेरे
जीते-जी सुलझ जायेगा ,
उस दिन स्वतंत्रता-दिवस मैं मनाउंगी A
सारे न्यूज़ चैनल जिस दिन
अतिशियुक्त खबरें ना सुनायेंगे ,
उ .प. , बिहार जिस दिन बिना
दहेज़ बेटी बिहायेंगे,
उस दिन स्वतंत्रता-दिवस मैं मनाउंगी A
कागज़ पर जिस दिन हर
अंगूठा हस्ताक्षर करेगा,
फंसी की सजा से जिस
दिन हर बलात्कारी डरेगा,
उस दिन स्वतंत्रता-दिवस मैं मनाउंगी A
सारे रिश्वतखोर जिस दिन
सस्पेंड किये जायेंगे ,
मंत्री बनने के लिए जिस
दिन एंट्रेंस ऐक्साम लिए जायेंगे ,
उस दिन स्वतंत्रता-दिवस मैं मनाउंगी A
अमरीका के लोग जिस दिन
पैसा कमाने भारत आएंगे ,
नासा से भारतीय वैज्ञानिक
जिस दिन वापस बुलाये जायेंगे ,
उस दिन स्वतंत्रता-दिवस मैं मनाउंगी A
शिक्षा के नाम पे कोई छात्र
ना जिस दिन स्यूसाइड करेगा ,
अमर सैनिक की विधवा को
जिस दिन नियमित भत्ता मिलेगा ,
उस दिन स्वतंत्रता-दिवस मैं मनाउंगी A
हिन्दू अपनी राह मैं पड़ती
मस्जिद पे सर झुकायेंगे,
मुस्लिम राम-मंदिर का
जिस दिन प्रसाद खायेंगे,
उस दिन स्वतंत्रता-दिवस मैं मनाउंगी A
आतंकवाद से जिस दिन ना
मैं घबरऊंगी ,
कश्मीर की वादियों में निर्भय
जिस दिन घूम आउंगी,
उस दिन स्वतंत्रता-दिवस मैं मनाउंगी A
Ajadi ke itne dinon ke bad bhi hame in sthitiyon samna karna padta hai, hame sochne par majboor karta hai.
Apki tikshan kavya-dristi koi bhi bindu bach nahi paya hai.
Vastav me shilpa ji Aap Bahut sunder likhti hai.
badhai ki patra hain aap.
Dhanyvad Manoj ji ,
jab tak aap jaise sarahniye pathak gan meri likhavat padthe rahenge , main likhti rahungi ….
kripiya meri aur kavitayon par bhi tippani kariyega ..