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अमर जवान ज्योति !

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Anthology 2013 Entries, Hindi Poetry

सदियों से खड़ा है खामोश, हज़ारो कहानियाँ समेटे हुए ,

थक चुका है लोगो को देश प्रेम का संदेश देते हुए ,

चीख-चीख के ये हमे शहीदो की याद दिलाता है,

उनके बलिदान और सरफरोशी के  क़िस्से सुनाता है !

 

इसमे छुपी हज़ारो लोगो की लाखो अनकही कहानी है ,

पर लगता है अब ये सब बेमतलब है ,बाते पुरानी है ,

ये वो शहीद है जो हँस के देश से रुख़सत हो गये ,

चुप- चाप जान दे धरती माँ की गोद मे जाके सो गये !

 

कई लोग यहाँ रोज आते है और यूँ ही चले जाते है ,

विरले ही कुछ लोग अपने शीश को नवाते है ,

कौन चंद पल खड़ा हो शहीदो को याद करता है ,

बस यहाँ खड़े होकर राजनीति की बात करता है !

 

इस पवित्र ज़मीन पर जहाँ श्रधा की गंगा बहती थी ,

लोगो के मन मे देश भक्ति की प्यास रहती थी ,

ये तो बस अब सैर सपाटे की जगह बन गयी ,

आज वास्तव मे शहीदो की अंतिम साँसे भी रुक गयी !

 

ये आज बेबस और परेशन सा दिखता है ,

क्योकि इसके ठीक सामने देश का ईमान बिकता है ,

यदा कदा ही यहाँ पुष्प भेट ,और सलामी बजती है ,

और दिन तो यहाँ चना और मूँगफली ही बिकती है !

 

मत और अपमान करो,इसे और ना शर्मसार करो ,

यहाँ बस देश भक्त्ती की बात करो, इतना उपकार करो ,

वही यहाँ आए जिसके दिल मे धरती माँ बसती है ,

यही एक छोटे सी बात मेरी ये रचना कहती है—

मेरी ये रचना कहती है !

 

 

डॉक्टर राजीव श्रीवास्तवा

 

 

6 Comments

  1. rajdeep bhattacharya says:

    amazing
    loved it

  2. Harish Chandra Lohumi says:

    आपकी रचना ने छोटी नहीं, बहुत बड़ी बात कही है राजीव जी ! बधाई !!!

  3. rajiv srivastava says:

    comment aap ka chota hai ,par mujhe bada ajeez hai

  4. P4PoetryP4Praveen says:

    बेशक एक अच्छी प्रेरणादायी रचना… 🙂

    लेकिन आदत से मजबूर एक बार फिर सुधार करूँगा…(वैसे आप स्वयं अगर थोड़ा ध्यान रखेंगे तो ये आगे से कभी नहीं होगा…)

    शदियों => सदियों
    लोगो => लोगों
    हमे => हमें
    शहीदो => शहीदों
    सुनता => सुनाता
    हज़ारो => हज़ारों
    लोगो की लाखो => लोगों की लाखों
    कहानी है => कहानी हैं
    लागत => लगता
    बेमतलब है => बेमतलब हैं
    बाते पूरनी है => बातें पुरानी हैं (हमेशा कोमा के पहले नहीं बाद में स्पेस रखें…)
    शहीद है => शहीद हैं
    रुक्सत => रुख़सत
    गोद मे => गोद में
    “चुपचाप जान दे” के स्थान पे “देश के लिए जान दे” होना चाहिए…(क्यूँकि चुपचाप जान देना यहाँ कायरता की निशानी लग रहा है…)
    आते है, जाते है, नवाते है => सभी है को हैं कर लें…
    शहीदो => शहीदों
    श्रधा => श्रद्धा
    लोगो => लोगों
    मन मे => मन में
    वास्तव मे => वास्तव में
    शहीदो => शहीदों
    साँसे => साँसें
    गयी => गयीं
    क्योकि => क्योंकि
    पुष्प भेट => पुष्प भेंट (डिलीट कोमा)
    अपमान करो, (के बाद स्पेस आएगा)
    देश भक्त्ती => देश भक्ति
    दिल मे => दिल में
    छोटे सी बात => छोटी सी बात

    (छोटी सी बिंदी भी हट जाये तो चिंता को चिता बना देती है…बहुत ध्यान देने की ज़रूरत होती है हिंदी भाषा में…आशा है सुधारकर रचना पुनः प्रस्तुत करेंगे और आगे ख़ुद ही ध्यान देंगे…)

  5. rajivsrivastava says:

    aap ki ye aadat is manch ke liye atyant awashyak hai,ise barkarar rakiyega———-thanks a lot.thanks for taking so much pain.Aap ka saath is manch ke liye aniwarya hai–sada saath rahiyega

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