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आग को न छेड़ो

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Hindi Poetry

यूं साँस लम्बी ले कर इस घाव को न छेड़ो

दिल और जल रहा है इस आग को न छेड़ो

मुरझा गई है अब वो यूं ताप सहते सहते

दिल दुःख रहा है इस का इस पाँख को न छेड़ो

दर्पण की भांति टूटा ये दिल चटख चटख कर

टूटा है जिस से ये दिल उस बात को न छेड़ो

दिल में किरच चुभी है वो दर्द कर रही है

दुखता है इस से ये दिल इस कांच को न छेड़ो

ये सांस चल रही है इसे यूं ही चलने देना

यह बीच में रुके ना इस साँस को न छेड़ो

कितना घना अँधेरा कुछ भी न सूझता है

मेरे हाथ में है दीया इस हाथ को न छेड़ो

कहने को क्या कहूं मैं बाक़ी बचा ही क्या है

जाने दो रह गई जो उस बात को न छेड़ो

12 Comments

  1. Vishvnand says:

    बहुत खूब, हार्दिक शुक्रिया
    कोई बात छेड़ने का अंदाज़ कितना बढ़िया …
    बिन बात कर वजह की
    गम को है तुमने छेड़ा
    इस तरह हाले दिल के
    इन हालों को न छेड़ो ….

    Kudos
    5 stars

    • dr.ved vyathit says:

      @Vishvnand, आदरणीय बन्धुवर निरंतर आप का आशीष मिल रहा है सौभाग्य है
      हार्दिक आभार

  2. KasaK....Dil ki says:

    sahi me 5 stars deserve karti hai aapki ye rachna….behad khubsurat hai ….

    • dr.ved vyathit says:

      @KasaK….Dil ki, आप का सम्भवत:मेरी रचना को पहली बार स्नेह मिल रहा है निरंतर स्नेह व् सम्वाद बना रहे मेरे लिए यही सब कुछ है
      हादिर्क आभार स्वीकार करें

  3. rajivsrivastava says:

    kabhi kabhi juban bahut kuch kahna chahti hai par shabd kam pad jate hai— bas dil kahta hai—-dhak dhak dhak dhak jo jagah mere dil ki mere jism main hai wahi jagah main aap ki is rachna ko deta hun. aur saath main 5 star

    • dr.ved vyathit says:

      @rajivsrivastava, भाई राजीव निरंतर सम्वाद व् स्नेह बना रहे
      हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ स्वीकार करें

  4. anju singh says:

    रचना कितनी बढ़िया है… कहना और बताना चाहती हूँ मैं…
    खैर, शब्दों से सजी इस रचना की तारीफ को बस आप पकड़ो..

    बहुत बढ़िया और सुन्दर रचना…

    • dr.ved vyathit says:

      @anju singh, अंजू दिल से निकले शब्द स्वत: ही अपनी व्यंजना व्यक्त कर देते हैं
      मेरे लिए यही सबकुछ है की सम्वाद व् सम्पर्क बना रहे मित्रों की तारीफ से ज्यादा उन सम्वाद व् प्रेम जरूरी है
      बहुत २ आभार

  5. Harish Chandra Lohumi says:

    दिल में किरच चुभी है वो दर्द कर रही है
    दुखता है इस से ये दिल इस कांच को न छेड़ो…

    इतना छेडने के बाद भी कहते हैं …मत छेडो !
    मजा आ गया सर ! बधाई !!!

    • dr.ved vyathit says:

      @Harish Chandra Lohumi, भाई हरीश आप का निरंतर प्यार बना हुआ है
      बहुत २ हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ स्वीकार करें

  6. siddha Nath Singh says:

    सुमधुर लयमय और कसी हुई ग़ज़ल.

    • dr.ved vyathit says:

      @siddha Nath Singh, आप जैसे सिद्धहस्त रचना कर जब कुछ कहरहें हैं तो शायद यह इस लायक हो
      आप का हार्दिक आभार है बन्धुवर

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