« “Dynasty dominant without demur” | अब सुकून आ गया थोडा ……..! » |
आग को न छेड़ो
Hindi Poetry |
यूं साँस लम्बी ले कर इस घाव को न छेड़ो
दिल और जल रहा है इस आग को न छेड़ो
मुरझा गई है अब वो यूं ताप सहते सहते
दिल दुःख रहा है इस का इस पाँख को न छेड़ो
दर्पण की भांति टूटा ये दिल चटख चटख कर
टूटा है जिस से ये दिल उस बात को न छेड़ो
दिल में किरच चुभी है वो दर्द कर रही है
दुखता है इस से ये दिल इस कांच को न छेड़ो
ये सांस चल रही है इसे यूं ही चलने देना
यह बीच में रुके ना इस साँस को न छेड़ो
कितना घना अँधेरा कुछ भी न सूझता है
मेरे हाथ में है दीया इस हाथ को न छेड़ो
कहने को क्या कहूं मैं बाक़ी बचा ही क्या है
जाने दो रह गई जो उस बात को न छेड़ो
बहुत खूब, हार्दिक शुक्रिया
कोई बात छेड़ने का अंदाज़ कितना बढ़िया …
बिन बात कर वजह की
गम को है तुमने छेड़ा
इस तरह हाले दिल के
इन हालों को न छेड़ो ….
Kudos
5 stars
@Vishvnand, आदरणीय बन्धुवर निरंतर आप का आशीष मिल रहा है सौभाग्य है
हार्दिक आभार
sahi me 5 stars deserve karti hai aapki ye rachna….behad khubsurat hai ….
@KasaK….Dil ki, आप का सम्भवत:मेरी रचना को पहली बार स्नेह मिल रहा है निरंतर स्नेह व् सम्वाद बना रहे मेरे लिए यही सब कुछ है
हादिर्क आभार स्वीकार करें
kabhi kabhi juban bahut kuch kahna chahti hai par shabd kam pad jate hai— bas dil kahta hai—-dhak dhak dhak dhak jo jagah mere dil ki mere jism main hai wahi jagah main aap ki is rachna ko deta hun. aur saath main 5 star
@rajivsrivastava, भाई राजीव निरंतर सम्वाद व् स्नेह बना रहे
हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ स्वीकार करें
रचना कितनी बढ़िया है… कहना और बताना चाहती हूँ मैं…
खैर, शब्दों से सजी इस रचना की तारीफ को बस आप पकड़ो..
बहुत बढ़िया और सुन्दर रचना…
@anju singh, अंजू दिल से निकले शब्द स्वत: ही अपनी व्यंजना व्यक्त कर देते हैं
मेरे लिए यही सबकुछ है की सम्वाद व् सम्पर्क बना रहे मित्रों की तारीफ से ज्यादा उन सम्वाद व् प्रेम जरूरी है
बहुत २ आभार
दिल में किरच चुभी है वो दर्द कर रही है
दुखता है इस से ये दिल इस कांच को न छेड़ो…
इतना छेडने के बाद भी कहते हैं …मत छेडो !
मजा आ गया सर ! बधाई !!!
@Harish Chandra Lohumi, भाई हरीश आप का निरंतर प्यार बना हुआ है
बहुत २ हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ स्वीकार करें
सुमधुर लयमय और कसी हुई ग़ज़ल.
@siddha Nath Singh, आप जैसे सिद्धहस्त रचना कर जब कुछ कहरहें हैं तो शायद यह इस लायक हो
आप का हार्दिक आभार है बन्धुवर