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उलझन
Hindi Poetry |
जीवन के बेहिसाब
उलझे हुए तन्तुओं को
बार २ सुलझाने पर भी
छोर हाथ नही आता है
कई बार लगता है कि
अब तो छोर मिल ही जायेगा
इस जटिलता का
परन्तु वह और भी
गहराई में जा कर खो जाता है
और हाथ आती है
फिर जीवन की वही निराशा
परन्तु अब यह कोई नई बात
नही रह गई है
यही तो होता रहा है बार २
और फिर वही एक उम्मीद की
नई किरण फूटती है हर बार
परन्तु अंत उसी अँधेरे में होता है उस का
शायद यही सत्य हो गया है जिन्दगी का
उन्ही उलझे तन्तुओं में उलझे रहना
छोर को ढूंढना, ढूंढते ढूंढते
स्वयम उसी में खो जाना
फिर उसे उसी तरह आगे के लिए छोड़ जाना
उलझा का उलझा हुआ ही
वैसा का वैसा ही ||
बहुत खूब
जीवन की उलझान को कुछ कुछ सुलझाती रचना
मनभावन
हार्दिक बधाई
उलझन ही उलझन जीवन की उलझन और सुलझन भी है …
@Vishvnand, किन शब्दों में आप का आभार व्यक्त करूं निरंतर सूर्योदय की भांति आप का आशीर्वाद मिल रहा है
बहुत खूब सर ! जीवन की यह पहेली और उस पर उलझे हुए ताने-बाने ! कौन सुलझा पाया इस उलझन को !
बहुत अच्छी रचना ! हार्दिक बधाई !!!
@Harish Chandra Lohumi, भाई आप जैसे मित्रों के कारण ही तो लिख रहा हूँ
आभार
बहुत खूब सर ! जीवन की यह पहेली और उस पर उलझे हुए ताने-बाने ! कौन सुलझा पाया इस उलझन को !
बहुत अच्छी रचना ! हार्दिक बधाई !!!
बड़ी सुलझी सुलझी से उलझन है आपकी
भावों को स्वर्ण बनाती अजब तपन है आपकी
जाने किस छोर पर जीवन का सिरा मिल जाए
काव्य मंच पर ये रचना चंदन है आपकी
अति सुंदर रचना विषय – हार्दिक बधाई डॉ.साहिब
@sushil sarna, भाई शुशील जी निरंतर आप का काव्यमयी स्नेह प्राप्त होता रहा है इसे बनाये रखिये
हार्दिक आभार
अति सुन्दर
@siddha Nath Singh, बन्धुवर आप ने रचना को स्नेह प्रदान किया बहुत २ हार्दिक आभार स्वीकार करें
सुन्दर और सच्ची रचना … आखिर जिंदगी की यही तो एक कडवी सच्चाई है..
सुलझाना और उलझना ही जिंदगी की कलाई है..
बेहतरीन प्रस्तुति …धन्यवाद सर जी
@anju singh, जीवन की सच्चाई अंजू आप को सुंदर लगी बहुत २ हार्दिक धन्यवाद
marvelous
@rajdeep bhattacharya, आप ने मेरी रचना को इतना स्नेह व् प्यार दिया बहुत २ हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ कृपया स्वीकार करें