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एक चेहरा ………..
Hindi Poetry |
काली आँखे, गुलाबी गाल
उपर से हाय ये मतवाली चाल.
आती थी जब सामने मेरे,
तो बदल जाता था दिल का हाल.
ऊँचा कद है, और लम्भे बाल,
फिर धीरे से इनको झटकना यार.
आती थी जब सामने मेरे,
तो दिल हो जाता था बेक़रार.
नज़रे उठाते ही मानों,
करती थी वो इनसे वार.
मिलने को हर रोज सुबह
किया था मैंने इंतज़ार.
आती थी जब सामने मेरे
तो बन जाता था दिल रचनाकार
सोच के उसके बारे में,
हो जाता था मुझको प्यार.
एक दिन सामने आते ही,
भय्या बोल के कर गयी बेकार.
अब आती है जब सामने मेरे,
तो याद रहता है उसका उपहार .
है मेरी अब तो यही दुवा ,
तू सदा खुस रहना.
करमजली बहना और
अब तेरा क्या कहना.
इतने दिनों बाद !!
उस चेहरे के चक्कर में इतने दिनों तक आप गायब रहे नेगी जी !
पुनः स्वागत है इस आदरणीय मन्च पर ! 🙂
दिलजले भाई की प्रतिक्रिया स्वरूप रचना, थोडा मज़ाक तो है लेकिन स्वाद कडवा लगा रचना का.
अच्छी सी रचना
ज़रा खटका बहुत देर बाद आपका आना
कुछ शब्दों की गल्तियाँ जरूर सुधारना
आपको रचना के लिए बधाई और शुभकामना
रचना तब तक बहुत भायी
जब तक उसने कहा नहीं था आपको भाई
आपसे ही बहुत गल्ती हुई ऐसा लगा
रचना ख़तम करनी थी ज़रा पहले
जब तक उसने नहीं कहा था आपको भाई …. 🙂
कविता है या चुटकुला…।
बच गये बाबू, अच्छा हुआ उसका बौय फ़्रेन्ड नहीं मिला 🙂