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कभी पास फुर्सत में बैठो बोलो अपने बारे में.
Hindi Poetry |
कभी पास फुर्सत में बैठो बोलो अपने बारे में.
रख दें फिर सर्वस्व सामने हम भी एक इशारे में.
सिर्फ बड़ा भर दिख जाने से कहीं बड़प्पन आता है,
चाँद रौशनी है उधार की,खुद की ज्योत सितारे में.
बस साहिल पर बैठे बैठे कहाँ तैरना आता है,
डर निकाल कर मन का सारा उतरो पहले धारे में.
अगर रौशनी दो औरों को, एहतिराम जग करता है,
अगवानी सूरज की करते सब पंछी भिनसारे में.
प्रायश्चित करता पवित्र मन,सब मालिन्य मिटाता है,
अमृत के गुण घुल जाते हैं सारे आंसू खारे में.
दृढ चरित्र रखना उन्नति के लिए नितांत ज़रूरी है,
एफिल टॉवर क्या बन सकता है ढुल मुल से पारे में.
मन के जीते जीत है मिलती, मन के हारे हार सखे,
अटल आत्मबल का ही अंतर है जीते में, हारे में.
नाम पते गलियों के मिलते, बस इंसान अजाने हैं,
शहर सामने जग मग जग मग,अँधियारा पिछवारे में.
बीच मंच जो हँसते गाते बैठे हैं, बेशर्मी से,
उन्हें लतीफों से लतियाते,जो कमज़ोर किनारे में.
Nice poem.
@sonal, shukriya for your kind comment .
खूबसूरत अंदाज़
प्रशंसनीय रचना
“अगर रौशनी दो औरों को, एहतिराम जग करता है,”
अपनी ही रोशनी पे खुश हैं कितने लोग नज़ारे में …. 🙂
@Vishvnand, थैंक्स .
कभी पास फुर्सत में बैठो बोलो अपने बारे में.
आओ हमदम हम भी खाली, बात करें गलियारे में ! 🙂
बहुत अच्छे एस एन साहब ! बधाई !!!
@Harish Chandra Lohumi, नज़रे इनायत का शुक्रिया लें.