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गणतंत्र दिवस — बुरा भगाओ अच्छा लाओ ….!
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गणतंत्र दिवस – बुरा भगाओ अच्छा लाओ…!
बुरा मत सुनो, बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो…(आदर्श)
अच्छा मत सुनो, अच्छा मत देखो, अच्छा मत बोलो…(पालन)
आज गणतंत्र दिवस है …
हे महात्मा, हम तुम्हें बहुत आदरयुक्त प्रणाम करते हैं
हम नहीं भूले जो आपने कहा है और हमें करना है
इस देश से सब बुरा और बुराई दूर करना है
और हर जगह सब अच्छा और अच्छाई ही लाना है
हमने और हमारी सरकार ने बहुत कोशिश की है और कर रहे हैं ,
पर बुरा और बुराई तो बिना रुके बढ़ती ही जा रही है
अच्छा और अच्छाई लाना बड़ा ही कठिन काम है
हमें आजादी मिलने के बरसों बाद यह समझ आता जा रहा है
इसलिए अच्छा काम हमें बुरे कामों के साथ करना पड़ रहा है …..
फिर भी महात्मा हम एक जगह जरूर सफल हुए हैं
आपने बताये तीन बन्दर हम अभी भी नहीं भूले हैं
जो वो कहते हैं उसमे से हमने जो बुरा है वो निकाल दिया है
उसकी जगह अब उनसे बुरा के बदले अच्छा कहलवाया है
अब वो बन्दर नहीं कहते
“बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो, बुरा मत सुनो,”
अब वो कहते हैं
अच्छा मत देखो, अच्छा मत बोलो, अच्छा मत सुनो,
और इसी प्रकार सर्व टीवी और माध्यम से यही करवाया है
हमें खेद है महात्मा हम इतना ही अच्छा कर सके हैं
और वैसे आपको बताने लायक हमारे पास और क्या है
जिसे सुन आपको खुशी हो और हम पर कुछ तो गर्व हो …..!
" विश्वनंद "
bilkul sach kaha sir——– sinder prastuti–badahai
@rajiv srivastava
प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद
नमस्कार सर जी,
वाकई आजादी के बाद हमने देश को काफी विकसित कर दिया है और सोच को तलवों के नीचे दबाकर बैठ चुके है…क्यूँ समझ गए ना आप सर जी
@anju singh
सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार.
ये घपले हुए, घोटाले हुए, ऊपर से नीचे तक मुजरिम हैं
समझने वाले समझ गए हैं, ना समझे उनका भ्रम है…. 🙂
महात्मा जी के लिये अच्छी पाती लिखी है सर !
( कई बन्दर तो अब कहने लगे हैं – न बुरा सुनने का…, न बुरा देखने का…, न बुरा बोलने का …। बस… बुरा करने का । 🙂 )
@Harish Chandra Lohumi
वाह वाह, प्रतिक्रिया के लिए स-ह्रदय धन्यवाद
आपने सही फरमाया, पर अब ये तो चौथा Wise Monkey हुआ. इसे किस रूप में वहां बैठाना ये बहुत सोचने की बात है और जरूरी भी. इसका contract किसी को देना पडेगा … 🙂
lovely
happy Republic Day Sir
@rajdeep bhattacharya
Thank you very much for your comment. & wish. Sorry for belated acknowledgment.
Would you like to think how we may depict the 4th monkey. 🙂
बापू से अच्छी शिकायत की है दादा आपने…वास्तविक स्थिति से पर्दा हटा ही दिया…अब तो बापू को सच पता चल ही जायेगा… 🙂
संदेशप्रद उत्तम रचना को एडवांस में 5 ***** (सुधार से पूर्व)… 🙂
मामूली सुधार हैं…
“तुम्हे” होगा “तुम्हें”, “हमारे सरकार” होगा “हमारी सरकार”, “नही” होगा “नहीं”, “उसमे” होगा “उसमें”, “नही कहते” होगा “नहीं कहते”
“बुरा मत देखो बुरा मत बोलो बुरा मत सुनो” होगा “बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो, बुरा मत सुनो,”
@P4PoetryP4Praveen
कमेन्ट और प्रयास की सराहना के लिए स-ह्रदय धन्यवाद है.
ये मेरी मूल रचना गत वर्ष इंग्लिश में थी जिसे बदल के साथ अब हिंदी में लिखी है
और इससे भी ज्यादा धन्यवाद सुधार सुझाने के लिए है जिससे मैंने तुरंत रचना में सुधार कर दिया है. ये छकानेवाली त्रुटियाँ अब ध्यान में ठीक से आने लगी हैं और लगता है इनका बंदोबस्त करने में मैं धीरे धीरे सफल हो जाऊँगा … 🙂
@Vishvnand, दादा एक और रोचक बात…मूल रूप में “बुरा मत सुनो, बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो” 17वीं सदी में तोशोगु धर्मस्थल, जापान में लिखी गयी सूक्ति है… 🙂
भारत में बापू ने अमल एवं प्रचारित किया सो उनकी सी हो गयी है… 🙂
@P4PoetryP4Praveen
इस जानकारी के लिए हार्दिक आभार. मैं इसे अपने पुराणों और देश की उपज समझ रहा था…
अब यहाँ हरीश जी ने समायानुसार बड़े अर्थपूर्ण तरह से चौथे बन्दर का संशोधन किया है. उसका अनुभव अभी अभी हुए टेलमाफिया ने किये हत्याकांड में विदित है. सोच रहा हूँ इस चौथे बन्दर को इन तीन बंदरों के साथ कैसा दर्शाया जाय. आप भी सोचिये…