Hi! I'm Praveen from the "City of Lakes" Bhopal...I love poetry, reading books, movies, music and painting... :)
I'm working as a Media Consultant at Directorate of Public Instructions, M.P....also called School Education Deptt. of M.P.
I also work as a freelance Graphic Designer, Drawing Artist & Editor/Translator (books). I do work in 3 languages Hindi, Gujarati and English.
I have started my career with India's well known Publishing House, Manjul Publishing House Pvt. Ltd. as a Typesetter in 2004 and left in 2010 as an Editor. I'm also doing theatre from long time.
Writing on P4P is my hobby and passion...To share my feelings and thoughts through my poetry...I believe in one thing that "कम लिखो, लेकिन अच्छा लिखो..."
उम्मीद करता हूँ कि आप मुझे और लिखने के लिए प्रेरित करेंगे...
धन्यवाद... :)
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@Ashu, आज-कल के जो हालात हैं…कभी-कभी पता नहीं क्यूँ…अपने आप ही ऐसे विषयों की ओर रुख़ हो जाता है…हालाँकि ज़्यादातर मैं सकारात्मक रचनाओं पर ही ध्यान केन्द्रित करना चाहता हूँ…
@siddha nath singh, बहुत-बहुत धन्यवाद् जी…मेरी पुकार सरकार तक पहुँचे न पहुँचे लेकिन हमारे जागरूक रचनाकारों तक तो अवश्य ही पहुँच गयी है…और यहीं से इस सुधार की धारा बहना शुरू होती है… 🙂
राम नाम सत्य, होने के बाद जगना क्या…
हर सबूत नष्ट, होने पे भगना क्या…
…………………….
यही सत्यता है आज के व्यवस्था की…
वास्तविकता का चित्रण करती ये कृति मन को भा गयी…
@Ashu, आज-कल के जो हालात हैं…कभी-कभी पता नहीं क्यूँ…अपने आप ही ऐसे विषयों की ओर रुख़ हो जाता है…हालाँकि ज़्यादातर मैं सकारात्मक रचनाओं पर ही ध्यान केन्द्रित करना चाहता हूँ…
फिर भी ये जानकर अच्छा लगा कि आपको पसंद आई… 🙂
वास्तव सारी बात बता कर
अपने ढंग से सुन्दर न्यारे
जगा दिए हैं तुमने सब के
दिल में बसे जो मोहन प्यारे
छक्के छूटेंगे इन सबके
जाग गए हैं मोहन प्यारे
अति सुन्दर और सटीक
अर्थपूर्ण मनभावन रचना
हार्दिक बधाई
@Vishvnand, वाह दादा…आपकी इस सुन्दर छुटकी प्यार भरी रचना और प्रशंसा के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद… 🙂
ऐसे ही प्रोत्साहक शब्दों से ही तो रचनाकार का reserve में आया हुआ fuel tank फ़ुल हो जाता है… 🙂
विद्रोही मन की विप्लावक पुकार,कविता का अनगढ़पन उसकी सुन्दरता का प्रतिमान.
@siddha nath singh, बहुत-बहुत धन्यवाद् जी…मेरी पुकार सरकार तक पहुँचे न पहुँचे लेकिन हमारे जागरूक रचनाकारों तक तो अवश्य ही पहुँच गयी है…और यहीं से इस सुधार की धारा बहना शुरू होती है… 🙂
sir ji, anhoniyon kii bhor na ho to hi achchha… 😉
@dp, अनहोनियों की भोर होना अच्छा है…अनहोनियों से भरी भोर होना अच्छा नहीं… 🙂
और आपके आँख मारते हुए नटखट से smiley एवं त्वरित कमेन्ट के लिए धन्यवाद्… 🙂
क्या आप कभी कोई ऐसी रचना भी लिखते हो जिसे हम कह सके की इसमें कुछ कमी रह गई…
बहुत बहुत बढ़िया.. रचना.
@anju singh, अंजू जी, क्यूँ शर्मिंदा कर रही हैं…इतनी तारीफ़ भी अच्छी नहीं…अधिक मीठा (प्रशंसा) खाने से diabetes हो जाती है… 🙂
कभी-कभी एक-आध करेला (सुधार/सुझाव) भी खिला दिया कीजिये… 🙂
aaj ke prajatantra par aachia sateek waar—na jane mohan pyare kab jaagenge
@rajiv srivastava, हम लोगों को जगाना होगा…एक-एक क़दम से ही कारवाँ बनाना होगा… 🙂
बहुत-बहुत धन्यवाद जी… 🙂