« Snow Blind. | DOMAIN INVEIGHED » |
प्यार और दुलार
Hindi Poetry |
मिट्टीके नीचे
कितने भी गहरे
चले जाएँ बेशक बीज
तो भी नष्ट नही होते हैं वे
धरती माँ अपनी गोद में
दुलारती रहती है उन्हें
लाड लड़ती रहती है
और उसी से प्रफुल्लित
हो जाता है बीज
उसी प्यार दुलार और स्नेह से
बड़ा हो जाता है वह
कलियाँ खिलाता है
फूल महकाता है
बीज बीज का लेखा किसने देखा, कुछ तो सतह पर ही भक्षित हो जाते है और कुछ कब्र में भी सुरक्षित रहते हैं.
@siddha nath singh, हार्दिक आभार बन्धुवर
namaskar sir..
rachan badiya hai… or ha mai siddha ji ki baat se bhi sahmat hu..
@anju singh, बहुत २ आभार
वाह क्या बात है…प्यार और दुलार की इससे अच्छी जीती-जागती और प्राचीन से लेकर आधुनिक मिसाल और कोई हो ही नहीं सकती…
कवि और शायर तो सिर्फ़ धरती और अम्बर के ही प्रेम का आलाप करते रहते हैं…लेकिन आपने सकारात्मकता के साथ जिस प्रेम को प्रस्तुत किया है वो बहुत ख़ास है…
इस ख़ास प्रेम की अभिव्यक्ति के लिए आप आदरणीय को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ… 🙂
आशा है आपकी लेखनी और भी अनछुए पहलुओं को उजागर करेगी… 🙂
@P4PoetryP4Praveen, भाई ये आप की सहृदयता ही है जो रचना आप को अच्छी लगी सम्पर्क व् सम्वाद बना रहे यही मेरे लिए सब कुछ है
प्रयत्न रहेगा आप को निराशा न मिले
मेरा मन्ना है यदि कविता कुछ नया ही न दे सके तो कविता किस बात की है
आप जैसी सहृदय व् गुनी जन कुछ नया निकलवा लेते हैं
हृदय से आभी हूँ स्वीकार करें
अच्छी रचना डा0 साहब ! बधाई !
“एक बीज था गया बहुत ही,
गहराई में बोया,
उसी बीज के अन्दर में था,
नन्हा पौधा सोया ।” की याद दिला गयी आपकी यह रचना ।
@Harish Chandra Lohumi, प्यार और दुलार जीवन के आवश्यक तत्व हैं ऐसा मानता हूँ
बहुत २ हार्दिक आभार बन्धुवर
ek beej apne ander poora vriksh chupaye rakhta hai–bas jaroorat hoti hai sahi vatavaran dene ki—arthpooran rachna sir—congrats
@rajiv srivastava, भाई हमारे यहाँ अणुको ही विभु कहा गया है और प्रेम तत्व भी ईश्व्टी तत्व है
बहुत २ हार्दिक आभार
भाई हमारे यहाँ अणुको ही विभु कहा गया है और प्रेम तत्व भी ईश्वरीय तत्व ही है
बहुत २ हार्दिक आभार बन्धुवर
बोहुत पसंद आई सर!
@pallawi, चलो अच्छा लगा आप को रचना पसंद आई बहुत २ हार्दिक आभार