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प्यार और दुलार

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Hindi Poetry

मिट्टीके नीचे

कितने भी गहरे

चले जाएँ बेशक बीज

तो भी नष्ट नही होते हैं वे

धरती माँ अपनी गोद में

दुलारती रहती है उन्हें

लाड लड़ती रहती है

और उसी से प्रफुल्लित

हो जाता है बीज

उसी प्यार दुलार और स्नेह से

बड़ा हो जाता है वह

कलियाँ खिलाता है

फूल महकाता है

13 Comments

  1. siddha nath singh says:

    बीज बीज का लेखा किसने देखा, कुछ तो सतह पर ही भक्षित हो जाते है और कुछ कब्र में भी सुरक्षित रहते हैं.

  2. anju singh says:

    namaskar sir..
    rachan badiya hai… or ha mai siddha ji ki baat se bhi sahmat hu..

  3. P4PoetryP4Praveen says:

    वाह क्या बात है…प्यार और दुलार की इससे अच्छी जीती-जागती और प्राचीन से लेकर आधुनिक मिसाल और कोई हो ही नहीं सकती…

    कवि और शायर तो सिर्फ़ धरती और अम्बर के ही प्रेम का आलाप करते रहते हैं…लेकिन आपने सकारात्मकता के साथ जिस प्रेम को प्रस्तुत किया है वो बहुत ख़ास है…

    इस ख़ास प्रेम की अभिव्यक्ति के लिए आप आदरणीय को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ… 🙂

    आशा है आपकी लेखनी और भी अनछुए पहलुओं को उजागर करेगी… 🙂

    • dr.ved vyathit says:

      @P4PoetryP4Praveen, भाई ये आप की सहृदयता ही है जो रचना आप को अच्छी लगी सम्पर्क व् सम्वाद बना रहे यही मेरे लिए सब कुछ है
      प्रयत्न रहेगा आप को निराशा न मिले
      मेरा मन्ना है यदि कविता कुछ नया ही न दे सके तो कविता किस बात की है
      आप जैसी सहृदय व् गुनी जन कुछ नया निकलवा लेते हैं
      हृदय से आभी हूँ स्वीकार करें

  4. Harish Chandra Lohumi says:

    अच्छी रचना डा0 साहब ! बधाई !
    “एक बीज था गया बहुत ही,
    गहराई में बोया,
    उसी बीज के अन्दर में था,
    नन्हा पौधा सोया ।” की याद दिला गयी आपकी यह रचना ।

    • dr.ved vyathit says:

      @Harish Chandra Lohumi, प्यार और दुलार जीवन के आवश्यक तत्व हैं ऐसा मानता हूँ
      बहुत २ हार्दिक आभार बन्धुवर

  5. rajiv srivastava says:

    ek beej apne ander poora vriksh chupaye rakhta hai–bas jaroorat hoti hai sahi vatavaran dene ki—arthpooran rachna sir—congrats

    • dr.ved vyathit says:

      @rajiv srivastava, भाई हमारे यहाँ अणुको ही विभु कहा गया है और प्रेम तत्व भी ईश्व्टी तत्व है
      बहुत २ हार्दिक आभार

  6. dr.ved vyathit says:

    भाई हमारे यहाँ अणुको ही विभु कहा गया है और प्रेम तत्व भी ईश्वरीय तत्व ही है
    बहुत २ हार्दिक आभार बन्धुवर

  7. pallawi says:

    बोहुत पसंद आई सर!

    • dr.ved vyathit says:

      @pallawi, चलो अच्छा लगा आप को रचना पसंद आई बहुत २ हार्दिक आभार

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