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बहकावा
Hindi Poetry |
सन्नाटों में दम घुटने लगा है मेरा
अब जिंदगी में कोई तूफ़ान चाहिए ||
उजड़ता है तो उजड़ने दो चमन का समां
हर नयी बहार से पहले कहकशां चाहिए ||
उनकी तरफ “हम” का हाथ बढ़ाऊ भी तो कैसे
उन्हें तो हर लफ्ज में “मैं” चाहिए ||
कमज़र्फ ये दिल गुले गुलज़ार होता ही नहीं
अड़ा है इस बात पे, की रंगों-बू चाहिए ||
फुरकत के बहकावे में मत आ दोस्त
हर जलजले को पहले शक्ले-ख़ामोशी चाहिए ||
अच्छी पन्क्तियाँ ! बधाई !
बहुत बढ़िया अंदाज़ और खूबसूरत रचना
हमारा तो मन कहता मिलना हर रोज पढ़ने
ऐसी रचना चाहिए ……
Commends for this beautiful poem