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मुहब्बत गर किसी के साथ करिए

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Hindi Poetry
मुहब्बत गर किसी के साथ करिए
बहुत संजीदगी के साथ करिए.
 
मज़ाक अच्छा है जीने के लिए पर
इसे मत  ज़िन्दगी के साथ करिए.
 
शरीफों का शहर है क़त्ल भी यां,
ज़रा शाइस्तगी  के साथ करिए.
 
मुहब्बत है ये मजबूरी नहीं है,
न ऐसी बेरुखी के साथ करिए.
 
पता पहले से था काजल लगेगा
बहस क्या कोठरी के साथ करिए.
 
सफ़र है ज़िन्दगी जो लुत्फ़ चाहो,
सफ़र आवारगी के साथ करिए.
 
निखालिस दोस्ती अच्छी नहीं है
रिफाक़त दुश्मनी के साथ करिए.
 
हमेशा आहो ज़ारी छोडिये भी
कभी कुछ तो खुशी के साथ करिए.
 
तरक्की को तजुर्बा है ज़रूरी
न बस ये आदमी के साथ करिए.
 
जो करना सामना हो मौत से भी
ज़रा जिंदादिली के साथ करिए. 

8 Comments

  1. Sanjay singh negi says:

    पता पहले से था काजल लगेगा
    बहस क्या कोठरी के साथ करिए.
    manbhavan ati sundr

  2. siddha Nath Singh says:

    धन्यवाद नेगी जी.

  3. Vishvnand says:

    मनभावने ख़ूबसूरत हर शेर
    बधाई

    “हमेशा आहो ज़ारी छोडिये भी
    कभी कुछ तो खुशी के साथ करिए……!”
    हमेशा वाह वाह की क्यूँ जरूरत
    कभी बिन वाह वाही के भी करिए ….!

  4. Harish Chandra Lohumi says:

    जो करना सामना हो मौत से भी
    ज़रा जिंदादिली के साथ करिए.
    लिखा तो है ही जाना साथ उसके,
    मगर उससे भी दो दो हाथ करिये ।

    सन्देशप्रद ! बधाई !!!

  5. Prem Kumar Shriwastav says:

    वाकई बहुत सुन्दर…

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