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मैं मद्धम तारा बनकर…
Anthology 2013 Entries, Crowned Poem, Hindi Poetry |
कई बार कवितायें मन में आती हैं और बिना लिखे छूट जाती हैं. ये कविता भी ४-५ साल पहले लिखी गयी थी लेकिन शायद कहीं पोस्ट नहीं की गयी थी. सो, प्रस्तुत है.मुझको मालूम है एक दिन
मैं ढलता सूरज बनकर
पश्चिम में जा डूबूँगा.
पर तुम मेरी कविता बन
हर पल को जीती रहना,
मैं मद्धम तारा बनकर
टुक टुक तुमको देखूँगा.
मैं ढलता सूरज बनकर
पश्चिम में जा डूबूँगा.
पर तुम मेरी कविता बन
हर पल को जीती रहना,
मैं मद्धम तारा बनकर
टुक टुक तुमको देखूँगा.
जब भोर की लाली आये
चुपके बागों में आना.
अपने कोमल पांवों से
नन्ही बूंदों को छू जाना.
शबनम की उन बूंदों से
तुम कैसी हो पूछूंगा.
मैं मद्धम तारा बनकर
टुक टुक तुमको देखूँगा.
जब बारिश का मौसम हो
हों आसमान में बादल.
दिल खोल के कजरी गाना
लहरा लहरा के आँचल.
मैं बारिश की बूँदें बन
तेरे अधरों को चूमूंगा.
मैं मद्धम तारा बनकर
टुक टुक तुमको देखूँगा.
जब याद हमारी आये
तुम आसमान को तकना
जब आँखों में आंसू हों
तो खिल खिल कर के हँसना
सपनों में तेरे आके
आंसूं सारे ले लूँगा.
मैं मद्धम तारा बनकर
टुक टुक तुमको देखूँगा.
khoobsoorti se prastut ki gaye hai rachna–lagta hai har pankti ko mahsoos karne ka baad likha hai— great,deserve not less than 5 stars— ise jayada upar nahi hai kya karoo
@rajiv srivastava, उत्साहवर्धन के लिए आभार.
ise kahate hain hindi adhunik kavita. laazavab.
@dp, बहुत बड़ी बात कह दी सर आपने. धन्यवाद.
वाह वाह, क्या बात है
अपने आप में अलग सी और अति सुन्दर
पढ़कर हम रचना को देखते रह गए
विचारों में सजाया मानो मनभावन
सुन्दर सा Video देखते रह गए
उत्कृष्ट
Kudos, धन्यवाद और हार्दिक अभिवादन
@Vishvnand, आपका आशीर्वाद बना रहे. 🙂
awesome 🙂 maja aa gaya
@prachi sandeep singla, ऐसा लगता है कि मेरी पुरानी कविताएं ही सबको ज्यादा पसंद आती हैं. 🙂 आभार.
टुक टुक पढ़ते ही रहे एसी भावुक अभिव्यक्ति की गयी है….
खूब सुन्दर…! 🙂 बधाई….!
@Gargi, बहुत बहुत धन्यवाद. आशा है कि बाकी कविताओं पर भी आपकी टिपण्णी मिलेगी.
बहुत अच्छी रचना है विकास भाई… 🙂
और ये कभी भी पुरानी नहीं होगी/लगेगी…
मेरी ओर से भी (5 *****) सप्रेम भेंट… 🙂
bahut khoob! 🙂
बहुत सुदर रचना…
khoobsurat bhaijaan….
विकाश भाई …आप को एक बात कहेते है हम …….जब कोई भक्त भगवान को पाने के लिए जैसा है वैसा पेश हो जाता है तब जाके भगवान मिलते है …और दूसरी ये बात की आप जैसे हो वैसे ही पेश आते हो ..हमे बहुत ख़ुशी हुयी …आप बहुत हमसे समजदार है …शायद हमारे कहेनेका मतलब भी समज गए होंगे..जय श्री कृष्ण
इस सुन्दर सी, दिल में एक अलग तरह का एहसास जगाने वाली इस रचना के दरबार में हमारी हाजिरी भी स्वीकार करें ।
I remember this one. like it.
Beautiful.
main maddham taara ban,
pashchim mein ja duboonga
par tum meri kavita ban
har pal ko jeeti rehna..
what a brilliant thought to construct a poem upon!