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याद करिये तो जीना कठिन भूल जाना भी मुमकिन नहीं
Hindi Poetry |
याद करिये तो जीना कठिन भूल जाना भी मुमकिन नहीं
ये पसोपेश दिन रात का इससे छूटा कोई दिन नहीं.
ये हयात आजमाए मुझे रोज़ रह रह रुलाये मुझे
ये सफ़र धुर बियाबान का हमसफ़र कोई, मोहसिन नहीं.
क़र्ज़ जैसी कटी ज़िन्दगी लम्हा लम्हा चुकी किश्त में,
सांस रक्खी रहन वक़्त ने फिर भी उतरा कभी ऋण नहीं.
खींच लेता है कारे जहां दूर तेरे ख्यालों से भी
रोज़ बांधूं अहद शाम को अब जियूँगा तेरे बिन नहीं.
जुर्म जीने का करता हूँ मैं क्यों न दुनिया सज़ा दे मुझे
ताज़ियानों के हैं ये निशां झुर्रियां तू इन्हें गिन नहीं. ताज़ियानों-कोड़ों के
बहुत अच्छे, बढ़िया अंदाज़
रोज रिश्वत की ख़बरें झगड़े हादसे
क्या सूकूं से भी गुजरे ऐसा दिन नहीं ?
@Vishvnand, थैंक्स.