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याद रखना कि याद आते हो तुम ….! (गीत)
Hindi Poetry, Podcast |
काफी अरसे के बाद वो इक दूसरे से मिल पाते हैं. चाहते हुए भी इस न मिल पाने का गम बहुत अलग सा छाया रहता है जो इस गीत में दर्शाने का प्रयास है…
सूरसागर स्व. श्री जगमोहन जी के मधुर गीत ” ये माना कि तुमसे न मिल पायेंगे हम” इस बिदाई गीत की तर्ज़ और प्रेरणा में उभरा यह इक मिलन गीत है जो गाकर इसके नए पॉडकास्ट सहित पेश है….
याद रखना कि याद आते हो तुम ….! (गीत)
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ये माना कि हमसे नहीं मिलते हो तुम,
मगर याद रखना कि याद आते हो तुम ….!
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क्या ठाना है तुमने नहीं हमसे मिलना ?
समझ सब गए हैं तुम्हारा फसाना,
चलो हमने माना न मिल पाए हो तुम
मगर याद रखना कि याद आते थे तुम ….!
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ये माना कि हमसे नहीं मिलते हो तुम,
मगर याद रखना कि याद आते हो तुम ….!
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क्यूँ तुम दे रहे हो अजी खुद को धोखा,
मुहब्बत के रिश्तों को किसने है रोका,
भुलाओगे उतना उभर आयेंगे हम,
मगर याद रखना कि याद आते थे तुम ….!
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ये माना कि हमसे नहीं मिलते हो तुम,
मगर याद रखना की याद आते हो तुम ….!
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इज़ाज़त अगर हो तो इतना कहेंगे,
दुआ तुम को देंगे जहां भी रहेंगे
न होंठों पे शिकवा कभी लायेंगे हम,
मगर याद रखना कि याद आओगे तुम ….!
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ये माना कि हमसे नहीं मिलते हो तुम,
मगर याद रखना कि याद आते हो तुम ….!
—- xxx —–
इजहारे मोहब्बत का अंदाज बहुत बढ़िया है गुरुदेव..
@Sinner
कमेन्ट का हार्दिक शुक्रिया गुरुभाई
यादें ये उनकी सदा खुशबू लायीं ….
क्या बात है सर !
उनकी याद का आना लेकिन उनका न आना,
क्या मालूम उनके दिल ने क्या है ठाना !
मुझे तो लग रहा कुछ और ही माज़रा,
कहीं आप तो नहीं ढूँढ रहे मिलने का बहाना !
बहुत अच्छे सर ! उनकी याद आयी और लायी एक सुन्दर सा गाना !
@Harish Chandra Lohumi
मधुर काव्य पंक्तियों से प्रतिक्रिया और प्रशंसा के लिए हार्दिक शुक्रिया
माजरा कुछ नहीं, दिल की व्यथा ही जो बन गीत उभरा
शब्दों को यूं साथ लेकर के आया
“ये माना कि हमसे नहीं मिलते हो तुम,
मगर याद रखना कि याद आते हो तुम ….!”
@Vishvnand,
बिलकुल सही कहा सर ! चाह कर भी न मिल पाने का कारण सिर्फ यह लगता है की कहीं हमारी उपस्थिति से व्यवधान न उत्पन्न हो इस प्रेम पूजा में .
@Harish Chandra Lohumi
ऎसी कुछ बात नहीं है …
पास रहकर तेरा प्यार पा न सके
दूर रहकर तुम्हे हम भुला न सके
बात कुछ ऐसी है … 🙂