« रीत गए बिरही ये नैना रोते रोते रात गयी. | For Ladies only ….! » |
ये ज़िन्दगी हरेक क़दम इम्तिहान थी.
Hindi Poetry |
दीवारों दर के साथ जुडी दास्तान थी,
खंडहर की एक वक़्त बड़ी आन बान थी.
तारी ज़ेहन पे खौफ बला का कोई रहा,
जो बोलती थी आँख, वही बेजुबान थी.
तासीर कैंचियों की उसे गालिबन मिली
पंछी की सहमी सहमी हवा में उड़ान थी.
सोये तो फिर उठे ही नहीं वो सफ़र के बाद,
अबके मुसाफिरों को गज़ब की थकान थी
.
आदत बुलंदियों की रही बादशाह को,
समझा नहीं कि आगे भयंकर ढलान थी.
छोड़ा दरअस्ल तीर किसी दोस्त ही ने था,
दुश्मन के अपने हाथ तो खाली कमान थी.
अपनी पहुँच से दूर रहीं कामयाबियां,
ये ज़िन्दगी हरेक क़दम इम्तिहान थी.
vaah sir ji..
ये ज़िन्दगी हरेक क़दम इम्तिहान थी.
ye baat deegar hai ki ham hamesha passed with grace rahe….
Superb…. 5*
@dp, थैंक्स d p जी.
अच्छी लगी.
@U.M.Sahai, शुक्रिया सर.
अपने में गहराईयाँ समेटे एक अद्भुत रचना… 🙂
बधाई… 🙂
@P4PoetryP4Praveen, आभारी हूँ मैं प्रवीण जी.
sahi कह रहे है . वाकई बढ़िया रचना है…
@anju singh, थैंक्स अंजू जी.
@anju singh,
sahi कह रहे है praveen ji…
वाकई बढ़िया रचना है…