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“शरद सुबह और उष्ण शाम”

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Hindi Poetry

“शरद सुबह और उष्ण शाम”

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“दिन दिन के घंटा गिनत, जीवन बीत्यो जात,

कभी उजाला दिवस है, कभी अँधेरी रात !”

उक्त कथन है अति गहन, वहन कर रहे हम,

चिंतित या निश्चिन्त हों, बस सहन कर रहे हम !

भाग्य-चक्र है अति अटल, तदनुसार है फल,

पता नहीं जो आज है, क्या हो जायेगा कल ?

कर्मशील रहते रहो, तब ही हो सकोगे सफल,

फल की चिंता मत करो, उसका संयोग अटल !

कठिन परिश्रम है सदा, उन्नति का ही द्वार,

जीवन यदि रहा शिथिल तो होगा बंटा धार !

मौज-मस्ती सीमित रखो, करते रहो उद्यम,

मानव-जीवन वरदान है, इस हेतु वही सक्षम !

पुनर्जन्म किस योनि में होगा, मूल है उसका कर्म ,

कर्म का जो है फलदायी साथी, वो है केवल धर्म !

अकर्मण्यता शत्रु जीवन की, जो देती पश्चाताप,

इससे समय व्यर्थ जाता, बस रह जाता संताप !

आज दृष्टिगत जहां है ये, वो है सरकारी तंत्र,

कुर्सी में कोट लटकाके जहां कैंटीन में बैठे स्वतंत्र !

मीलों दूर से आये अभ्यागत, भटक के होते तंग,

कर्मी-संगठन के बल पर, ऐसा ही रहता ढंग !

कागज़ सरकता टेबल से तब जब होती आवभगत,

या कोई उपहारस्वरूप या जब देता कोई नकद !

खाली-जेब, खाली-पेट बहुधा आता है कर्मचारी,

कुछ भी मिला खा-पीके, जेब भी कुछ करता भारी !

व्यर्थ समय और खर्च के डर से है ये सब की लाचारी,

परिस्थितियों के कारण कर्मचारी बन रहा भिखारी !

ऐसी है चल रही आजकल शरद सुबह और उष्ण शाम,

काम के बदले दाम की नीयत से हो रहा देश बदनाम !

अंत समय की नहीं किसी को है अब कोई भी चिंता,

हर कर्मी खाली-जेब जाता बस लौट के सिक्के गिनता !

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18 Comments

  1. […] This post was mentioned on Twitter by Ravishankar, naradtwits. naradtwits said: “शरद सुबह और उष्ण शाम” | p4poetry http://bit.ly/eMVEL0 […]

  2. ashwini kumar goswami says:

    I know not if anywhere else “शरद सुबह और उष्ण शाम” was made mention of. I composed the poem extempore meo voto,

  3. Harish Chandra Lohumi says:

    अच्छा जीवन सन्देश !

  4. Sanjay singh negi says:

    aap to humse bahut hi senior hai or aapki kavitao ki to baat hi kuch nirali hai
    mn hilne lagta hai dulne lgata hai
    hr line ke sath tn julne lagta hai
    badai ho

    • ashwini kumar goswami says:

      @Sanjay singh negi, बहुत बहुत हार्दिक
      धन्यवाद ! निरंतर प्रगति करो ! आपकी प्रोफाइल में थोड़ी सी शुद्धि करदें तो उचित
      होगा, यथा – ‘कवी’ को ‘कवि’ करदें, ‘wana’ को ‘wanna’ करदें और उसके आगे से
      ‘some’ शब्द को निरस्त करदें, ‘belive’ ko ‘believe’ karaden !

  5. Panch Ratan Harsh says:

    पुनर्जन्म किस योनि में होगा, मूल है उसका कर्म ,
    कर्म का जो है फलदायी साथी, वो है केवल धर्म !
    गीता का सन्देश देती एक सुन्दर रचना
    भ्रिस्त्ताचार आज धर्माचार हो गया है ,
    पैसे के आगे देशधर्म लाचार हो गया है !
    गुरूजी आपकी कविता आज का सत्य है ५*****

  6. sonal says:

    Very nice poem.

  7. Vishvnand says:

    कविता पढ़ मन में मेरे आ जाती ये बात
    ऐसी सुन्दर रचनाएँ कैसे रचते आप
    अर्थपूर्ण सबकुछ लिखा , ध्यान रखे हर बात
    सरकारी इन दफ्तरों की सबको आती लाज ….

    Commends for this excellent Hindi poem…!

    • ashwini kumar goswami says:

      @Vishvnand, साभार धन्यवाद !
      आप जैसे कवियों द्वारा अति-प्रोत्साहक प्रशंसा ही है इसका मूल,
      जिससे ही खिल जाते हैं मेरी लेखन की बगिया में मनमोहक फूल !

      • P4PoetryP4Praveen says:

        @ashwini kumar goswami, मनमोहक पुष्प खिला-खिलाकर, बनते रहें गुलदस्ते…
        इस कविता के भव्य मंच पर, बिताएँ समय हँसते-हँसते…
        शरद, सुबह और उष्ण शाम, लगी मनभावन पढ़ते-पढ़ते…
        ईश्वर करे हम थक जाएँ, पाँच सितारे जड़ते-जड़ते…
        दादू, हर दिन हो नयी सुबह, मिले आपको मेरा नमस्ते… 🙂

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