aap to humse bahut hi senior hai or aapki kavitao ki to baat hi kuch nirali hai
mn hilne lagta hai dulne lgata hai
hr line ke sath tn julne lagta hai
badai ho
@Sanjay singh negi, बहुत बहुत हार्दिक
धन्यवाद ! निरंतर प्रगति करो ! आपकी प्रोफाइल में थोड़ी सी शुद्धि करदें तो उचित
होगा, यथा – ‘कवी’ को ‘कवि’ करदें, ‘wana’ को ‘wanna’ करदें और उसके आगे से
‘some’ शब्द को निरस्त करदें, ‘belive’ ko ‘believe’ karaden !
पुनर्जन्म किस योनि में होगा, मूल है उसका कर्म ,
कर्म का जो है फलदायी साथी, वो है केवल धर्म !
गीता का सन्देश देती एक सुन्दर रचना
भ्रिस्त्ताचार आज धर्माचार हो गया है ,
पैसे के आगे देशधर्म लाचार हो गया है !
गुरूजी आपकी कविता आज का सत्य है ५*****
@ashwini kumar goswami, मनमोहक पुष्प खिला-खिलाकर, बनते रहें गुलदस्ते…
इस कविता के भव्य मंच पर, बिताएँ समय हँसते-हँसते…
शरद, सुबह और उष्ण शाम, लगी मनभावन पढ़ते-पढ़ते…
ईश्वर करे हम थक जाएँ, पाँच सितारे जड़ते-जड़ते…
दादू, हर दिन हो नयी सुबह, मिले आपको मेरा नमस्ते… 🙂
[…] This post was mentioned on Twitter by Ravishankar, naradtwits. naradtwits said: “शरद सुबह और उष्ण शाम” | p4poetry http://bit.ly/eMVEL0 […]
I know not if anywhere else “शरद सुबह और उष्ण शाम” was made mention of. I composed the poem extempore meo voto,
अच्छा जीवन सन्देश !
@Harish Chandra Lohumi, धन्यवाद !
आपकी ‘जागो कवियों’ बहुत रुचिकर लगी !
@ashwini kumar goswami, आभारी हूँ सर ! आशीर्वाद बनाये रखियेगा ।
@Harish Chandra Lohumi, तथास्तु !
@ashwini kumar goswami, धन्य हो गया आपके इस अनुपम आशीर्वाद से ! सचमुच देवलोक सा आनन्द मिल रहा है !
ईश्वर आपको स्वस्थ दीर्घायु प्रदान करे ।
@Harish Chandra Lohumi,सदा
सुखी एवं सम्पन्न रहो ! इतिहास के पन्ने उलटो और “युद्ध की विभीषिकाएँ”
शीर्षक पर पद्य-प्रबोध दर्शाओ, यदि हो सके तो !
aap to humse bahut hi senior hai or aapki kavitao ki to baat hi kuch nirali hai
mn hilne lagta hai dulne lgata hai
hr line ke sath tn julne lagta hai
badai ho
@Sanjay singh negi, बहुत बहुत हार्दिक
धन्यवाद ! निरंतर प्रगति करो ! आपकी प्रोफाइल में थोड़ी सी शुद्धि करदें तो उचित
होगा, यथा – ‘कवी’ को ‘कवि’ करदें, ‘wana’ को ‘wanna’ करदें और उसके आगे से
‘some’ शब्द को निरस्त करदें, ‘belive’ ko ‘believe’ karaden !
पुनर्जन्म किस योनि में होगा, मूल है उसका कर्म ,
कर्म का जो है फलदायी साथी, वो है केवल धर्म !
गीता का सन्देश देती एक सुन्दर रचना
भ्रिस्त्ताचार आज धर्माचार हो गया है ,
पैसे के आगे देशधर्म लाचार हो गया है !
गुरूजी आपकी कविता आज का सत्य है ५*****
@Panch Ratan Harsh, साभार धन्यवाद,
प्रिय हर्ष !
Very nice poem.
@sonal,हार्दिक धन्याद, सोनल !
कविता पढ़ मन में मेरे आ जाती ये बात
ऐसी सुन्दर रचनाएँ कैसे रचते आप
अर्थपूर्ण सबकुछ लिखा , ध्यान रखे हर बात
सरकारी इन दफ्तरों की सबको आती लाज ….
Commends for this excellent Hindi poem…!
@Vishvnand, साभार धन्यवाद !
आप जैसे कवियों द्वारा अति-प्रोत्साहक प्रशंसा ही है इसका मूल,
जिससे ही खिल जाते हैं मेरी लेखन की बगिया में मनमोहक फूल !
@ashwini kumar goswami, मनमोहक पुष्प खिला-खिलाकर, बनते रहें गुलदस्ते…
इस कविता के भव्य मंच पर, बिताएँ समय हँसते-हँसते…
शरद, सुबह और उष्ण शाम, लगी मनभावन पढ़ते-पढ़ते…
ईश्वर करे हम थक जाएँ, पाँच सितारे जड़ते-जड़ते…
दादू, हर दिन हो नयी सुबह, मिले आपको मेरा नमस्ते… 🙂
@P4PoetryP4Praveen,हार्दिक
धन्यवाद, प्रिय प्रवीण !