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शायद खफा जियादा है.
Hindi Poetry |
लड़ने पर आमादा है
शायद खफा जियादा है.
नज़र मिलाते झिझका है
अच्छा नहीं इरादा है.
आज रहा वो आने से
अगर आज का वादा है.
क़र्ज़ सांस का क्या चुकता
होता रोज़ तगादा है.
चला मुहिम पर गो लश्कर
मगर वलवला आधा है.
अन्दर तो विस्फोटक हैं,
सिर्फ लिफाफा सादा है.
Bahut khoob Sidhnath Jee….. Sabhi ashaar khoob hai..
First 2 and last one is realy mindblowing…
Daad o mubarakbad kabool kijiye.. 🙂
@Kwahish, शुक्रिया ख्वाहिश, फॉर यौर kind कमेन्ट.
बेहतर है.
@neeraj guru, आभार.
भाई वाह, क्या बात है
छोटी छोटी बातों में
लिख्खा कितना ज्यादा है ….
बधाई
@Vishvnand, धन्यवाद विश्व जी
वाह जी वाह… बढ़िया रचना …
@anju singh, थैंक्स अंजू जी.