Hi! I'm Praveen from the "City of Lakes" Bhopal...I love poetry, reading books, movies, music and painting... :)
I'm working as a Media Consultant at Directorate of Public Instructions, M.P....also called School Education Deptt. of M.P.
I also work as a freelance Graphic Designer, Drawing Artist & Editor/Translator (books). I do work in 3 languages Hindi, Gujarati and English.
I have started my career with India's well known Publishing House, Manjul Publishing House Pvt. Ltd. as a Typesetter in 2004 and left in 2010 as an Editor. I'm also doing theatre from long time.
Writing on P4P is my hobby and passion...To share my feelings and thoughts through my poetry...I believe in one thing that "कम लिखो, लेकिन अच्छा लिखो..."
उम्मीद करता हूँ कि आप मुझे और लिखने के लिए प्रेरित करेंगे...
धन्यवाद... :)
P4PoetryP4Praveen has written 46 poems. Visit Poet Page: P4PoetryP4Praveen
बहुत सुन्दर रचना, बड़ा मजा आया
सुदर मार्मिक व्यंग सौ अंक के पात्र है
ऐसे में शिक्षक को बेचारे क्षात्र की ये शिक्षा तो उदाहरण मात्र है
शिक्षक अब सोचेगी ऐसे में आगे क्या करना सुबुद्धि की बात है
शहरों में जाने कितनों का कई बार ऐसा ही होता है
किसी स्टेशन के पब्लिक toilet में बड़ा बड़ा Q होता है
उन सब को English आती है पर उससे क्या फर्क पड़ता है…?
जब भाषा नहीं समझ में आये या शर्म लगे तो संकेतों से समझाओ,
लघुशंका हेतु कनिष्ठिका, दीर्घशंका हेतु तर्जनी और मध्यमा उठाओ !
यदि शीघ्रशंका हो तो बिना कहे ही सुविधा-कक्ष को भाग के जाओ,
इसी बीच यदि निकल जाए शंका तो दौड़ के कपड़े बदल के आओ
ये तो होती प्राकृतिक प्रक्रिया इसके लिए नहिं कभी कहीं शर्माओ,
फिर भी शर्म को रोक न सको तो घर जाकर ही मन सहलाओ !
बहुत सुन्दर रचना, बड़ा मजा आया
सुदर मार्मिक व्यंग सौ अंक के पात्र है
ऐसे में शिक्षक को बेचारे क्षात्र की ये शिक्षा तो उदाहरण मात्र है
शिक्षक अब सोचेगी ऐसे में आगे क्या करना सुबुद्धि की बात है
शहरों में जाने कितनों का कई बार ऐसा ही होता है
किसी स्टेशन के पब्लिक toilet में बड़ा बड़ा Q होता है
उन सब को English आती है पर उससे क्या फर्क पड़ता है…?
@Vishvnand, दादा, इस मंच पर पहली बार अपनी हल्की-फुल्की गुदगुदाती रचना रखने का प्रयास किया था…आपको अच्छी लगी तो ये रचना सफल रही… 🙂
आपकी इस सहृदयता का आभारी हूँ… 🙂
Uttam Rachana i ever read….. the most cutest one…. hearty Congrats Praveen..!
बहुत ही मासूमियत से आपने ये व्यंग को प्रदर्शित किया है…. 🙂 😉 🙂
@Gargi,
& 5 ***** form my side…. God Bless You!
@Gargi, Thanks a ton for this reward and appreciation… 🙂
@Gargi, रचना की प्रशंसा के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद् जी… 🙂
आगे भी प्रयास रहेगा कि इससे भी अच्छी रचना प्रस्तुत कर सकूं… 🙂
सत्य वचन.
@siddha Nath Singh, आपके अनमोल शब्दों एवं बहुमूल्य समय के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद जी… 🙂
cute one——- brings sweet smile at last
@rajiv srivastava, Thanks a lot Rajiv ji…and that means I’m able to make others laugh… 🙂
बहुत अच्छी, मज़ेदार व सन्देश देती कविता, बधाई, प्रवीण जी.
@U.M.Sahai, इस प्रेरक, उत्साहवर्धक व प्रशंसापूर्ण बधाई के लिए मैं आपका हृदय से आभारी हूँ… 🙂
@praveen…lykd ur poetry alot…i too started laughing on bachhe k halat…
@sonal, Thanks a lot Sonal ji…My bro & Mom also liked & laughed at it… 🙂
I always ask them to review my creation and then I upload here… 🙂
Again thanks a lot for your valuable comment & appreciation.
वह वह वह वह बोहुत स्वीट है
@Bhavana, लेकिन आपका कमेन्ट तो हमें और भी स्वीट लगा… 🙂
ऐसे ही प्रतिक्रिया देते रहें…और हमें लिखने के लिए प्रेरित करते रहें… 🙂
जब भाषा नहीं समझ में आये या शर्म लगे तो संकेतों से समझाओ,
लघुशंका हेतु कनिष्ठिका, दीर्घशंका हेतु तर्जनी और मध्यमा उठाओ !
यदि शीघ्रशंका हो तो बिना कहे ही सुविधा-कक्ष को भाग के जाओ,
इसी बीच यदि निकल जाए शंका तो दौड़ के कपड़े बदल के आओ
ये तो होती प्राकृतिक प्रक्रिया इसके लिए नहिं कभी कहीं शर्माओ,
फिर भी शर्म को रोक न सको तो घर जाकर ही मन सहलाओ !
@ashwini kumar goswami, सही कहा दादू आपने…और अच्छी लगी आपकी प्रतिक्रियात्मक रचना… 🙂
और आशा है उपरोक्त बालक यह बात बाद में अनुभव के साथ अवश्य समझ ही गया होगा… 🙂
wahh wahh
@ritesh, Hope ya did enjoy this one… 🙂