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अहसास-(पिता बनने का) !
Hindi Poetry |
आज कही उड़ गयी,
दिल की धड़कने,
तेज-तेज चल रही,
व्याकुल है मन,
और पग बेचैन है ,
यहाँ-वहाँ डोल रहा,
ये कैसी रैन है!
ये व्यथा है उस शक्स,
की जो आज “बाप बन रहा”,
नवागंतुक की राह,
देर से वो तक रहा,
मन मे तूफान सा,
घूमड़-घूमड़ उठ रहा,
दो कदम तेज चल,
फिर थोड़ा रुक रहा!
हाथ जोड़ बंद आँखें,
प्राथना वो कर रहा,
इस पल की कुशलता ,
की कामना वो कर रहा,
एक नयी जिंदगी की,
राह वो तक रहा,
कोई अमंगल हो ना जागे,
दुआ दिल से कर रहा!
तभी एक मधुर आवाज़,
कानो मे पड़ गयी,
इंतजार ख्तम हुआ,
आँख द्वार तक रही!
फिर वो छण आया,
जिसके लिए दिल बेकरार था,
हाथो मे रख दिया,
क्या हसीन दीदार था,
छोटी सी नन्ही सी,
जान से भी प्यारी,
उसे मिल गयी उसके,
सपनो की राजकुमारी!
डॉक्टर राजीव श्रीवास्तवा
अच्छी-अच्छी यादों को तरोताजा कर जाती हैं आपकी रचनायें !
अच्छी मनभावन रचना ! बधाई !
नन्ही फुहारों सा भीगा भीगा एहसास
करता पुलकित मन की पूर्ण हर प्यास
अति सुंदर-मासूमियत से ओत-प्रोत रचना- हार्दिक बधाई हरीश जी
@sushil sarna, चाचा बनने की बधाई दे रहे हैं क्या सरना साहब ! 🙂 हार्दिक धन्यवाद स्वीकार करें ।
A nice poem.
@sonal, thanks a lot
सुन्दर मनभावन रचना
हर बाप को याद दिला देगी उस दिन की घबराहट
और अत्यंन्त खुशी और आनंद उसका बाप बनना …
और इस वरदान के लिए प्रभु की वन्दना और प्रार्थना ….
A little rationality lifts the quality of the debate here. Thanks for coitbnruting!