« The Ships At Night | प्यार की इंतहा » |
आज फिर एक बार
Hindi Poetry |
आज फिर एक बार…
**********************
लिखने बैठी हूँ कुछ और
कुछ सोच रही हूँ
कलम है मेरी खोई और
मैं भी कहीं गूम हूँ
पढ़ कर तेरी तहरीर ऐ सनम
कुछ हुआ है मेरे दिल में
तेरे खामोश दर्द से शायद
मैं भी कुछ गुमसुम हुई हूँ
लाओ आज फिर एक बार
मैं भी अपनी खोई हुई कलम ढूंढती हूँ
खोये शब्दों को चुन चुन के
ख्यालों से बाहर लाती हूँ
आज चलो फिर एक बार
मैं कुछ नए गीत लिखती हूँ
आज फिर इन्द्रधनुषी रंग
शब्दों से मैं सजाती हूँ …!!!
अच्छी और संबेदनसील रचना – बधाई
बढ़िया अंदाज़ की रचना
सुन्दर मनभावन
बधाई
मनभावन रचना, बधाई
अच्छी लगी प्यार को पुनर्जीवित करती हुई यह रचना !
बधाई !
लिखने की तयारी में ही इतना अच्छा लिखा गया, वास्तविक रचना कैसी होगी अंदाज़ा लगाइए.