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कॉलेज की कैंटीन !
Hindi Poetry |
मेरे कॉलेज मे थी एक जगह, जो लगती थी रंगीन ,
कोई उसे अड्डा कहता था ,तो कोई कहता था कैंटीन ,
क्लास मे तो लड़के यदा-कदा ही जाते थे ,
अपना धर्म मान कर यहाँ अवश्य आते थे !
नाश्ता ,ब्रेड पकोड़ा और चाय हर समय बनती थी ,
कभी आमलेट बनता ,तो कभी पूरी छनती थी ,
वो छोटे-छोटे लड़के जो आडर ले कर आते थे ,
भाग-भाग कर काम करते ,फिर भी डाँट खा जाते थे !
सुबह से ही कई नामचीन चेहरे यहाँ दिख जाते थे ,
कुछ लोग यहाँ पढ़ते थे ,तो कुछ चाय की चुस्की लेते थे ,
सिगरेट के छल्ले कोई बड़ी शान से उड़ाता था ,
एक जल्दी से ख़त्म करता .और दूजी मूह से लगाता था !
इसी जगह पर बैठ कर कई तरह की “प्लांनिंग” होती थी ,
कुछ लड़को की बात बिगड़ती तो कुछ की “सेट्टिंग” होती थी ,
कोई नैनन के तीर चला लड़की को पटाता था ,
कोई जल्दी से गिफ्ट थमा रोमियो बन जाता था !
कालेज के जब होते चुनाव,तो हलचल यहाँ बढ़ जाती थी ,
कैंटीन की दीवारे भी पोस्टर से पट जाती थी ,
नये नये नेता यहाँआकर माहौल रंगीन कर देते थे ,
जीत की खातिर दूसरो का बिल तक भी भर देते थे !
आज भी जब कभी किसी कालेज के आगे से गुज़रता हूँ ,
एक पल के लिए वहाँ की कैंटीन मे ज़रूर ठहरता हूँ ,
याद करता हूँ अपनी कैंटीन को, तो आँखे नम हो जाती है ,
कॉलेज तो भूल भी जाता है,पर कैंटीन याद रह जाती है !
डॉक्टर राजीव श्रीवास्तवा
[…] This post was mentioned on Twitter by Ravishankar, naradtwits. naradtwits said: कॉलेज की कैंटीन ! | p4poetry http://bit.ly/gHfXdH […]
बहुत सुन्दर मनभावन रचना
(ज्यादा स्टार पाने कुछ शब्दों को सुधारना )
प्रशंसनीय अंदाज़ …
केन्टीन की बात छेड़कर सबकी पोल खुलवाते हो,
इन यादों से क्या होता जब 5 स्टार में जाते हो …. 🙂
@Vishvnand, dhanyavad sir
अच्छी याद दिलायी अड्डे की ! 🙂 बधाई !!!
@Harish Chandra Lohumi, ye adda har college ki jaan hota hai
सुमधुर संस्मरण की सुन्दर प्रस्तुति.
@siddha nath singh, bahut dhanyavad sir
आदरणीय राजीव जी
पुरानी यादें फिर ताजा हो गयी, बहुत ही सुंदर रचना, बधाई हो I
@santosh bhauwala, sach main ye canteen sab ko yaad aati hogi
आदरणीय राजीवजी
रचना अच्छी लगी ,बधाई हो
संतोष
@santosh bhauwala, dhanyavad
आदरणीय विश्वनान्दजी
सीधे दिल में बस गई आपकी रचना, बधाई हो
संतोष
मैंने ये कमेन्ट विश्वनान्दजी की कविता ‘तुम मानो या न मानो’ को दिया था गलती से इधर आ गया
संतोष
very nice poem..reminded me of our college canteen…though all colleges have similar canteen scenario, but in our college we also had a separate section for girls…
@renukakkar, thanks for sharing–thanks
वाह वाह ,मजा आ गया, आप की ये कबिता जायकेदार लगी , पुरानें दिन याद आ गए – बधाई
@Swayam Prabha Misra, utsahvardhak pratikiriya ke liye dhanyavad