« यूँ तो दुनिया तमाम होती है | I TRUST » |
गांधारी आँखे क्यो मूंद ली !
Hindi Poetry |
धृत्ररष्ट्र तो जन्म से ही अंधे थे ,
और मन अँधा था पुत्र प्रेम मे ,
मस्तिष्क का अहंकार मे विलय था ,
और दिल डूबा था अंधकार मे !
हे गांधारी तुम्हारी तो आँखे थी ,
फिर उन्हे क्यो तुम्हने यूँ मूंद लिया,
तुम्हारी अनदेखी ही भारी पढ़ गयी ,
विनाशकारी महाभारत को जन्म दिया !
जो खुली आँखो से उनके दुस्साहस को देख पाती ,
तुम तो माँ थी,उन्हे रोकती सही राह ही दिखलाती ,
चीर हरण के वक़्त जो आँखे तुम्हारी खुली होती ,
द्रोपदी की लाज बचाने तुम खुद ही आगे आ जाती !
मुमकिन था की गर तुम्हारी आँखे को वो पढ़ पाते ,
तो ग़लत दिशा को छोड़ सही राह को ही वो अपनाते
ऐसा जो हो पाता तो शायद वक़्त भी बदल जाता ,
इतनी जाने ना जाती,महाभारत शायद टल जाता !
पर विधि को तो कुछ और ही शायद मंजूर था ,
अपनी आँखे बंद करने का तुम्हे बड़ा गूरूर था ,
पति के स्वाभिमान की रक्षा जो खुली आँखो से कर पाती ,
तो तुम पतिव्रता कहलाती,और कुल की मर्यादा बच जाती !
डॉक्टर राजीव श्रीवास्तवा
[…] This post was mentioned on Twitter by Ravishankar, naradtwits. naradtwits said: गांधारी आँखे क्यो मूंद ली ! | p4poetry http://bit.ly/fZfWxk […]
बहुत सुन्दर अंदाज़ की अर्थपूर्ण रचना
मन भायी. हार्दिक बधाई …
तब शायद उन्हें ” Better half ” नहीं सम्बोधाते थे, पर पत्नियां अक्सर Better half ही होती थीं, कुछ जो exception सी ” Worst Half” होती थीं बहुत कम थीं पर कुछ ऐसी ही स्त्रियों ने अच्छी बिगाड़ बुरी घटनाओं के क्रम को जन्म दिया है. जिनमे जैसा यहाँ बताया गांधारी जरूर एक है …
@Vishvnand, thanks sir,kabhi kabhi better half bitter half ban jata hai.
सुन्दर और अर्थपूर्ण रचना – बधाई , गांधारी नें अपनीं आँखों पर पतिब्रता की पट्टी नहीं बल्कि अज्ञानता की पट्टी बांध लिया था जो की महाभारत के लडाई का कारण बन गया
@Swayam Prabha Misra, aap ko rachna pasand aayi ,sahirday dhanyawad
अच्छी रचना ! बधाई ! बहुत ही अच्छा वाद-विवाद का विषय ! लेकिन कोई कमेन्ट नहीं दूँगा ! 🙂
गज़ब की रचना ! बधाई राजीव जी !
@Harish Chandra Lohumi, likne ke baad yadi aisi pratikiriya mil jaye to anand aa jata hai—thanks