My full name is Sushil Sarna and date of birth is 2nd August,1951. I belong to Punjabi culture. I have cleared Graduation in 1970. I am retired from Central Government Service. My wife is my best critic and has has always encouraged me for writing the poems. This sense was developed during my college period. I was always praised for my poems by my friend circle. Later, in my family I was supported for this passion and also in my office. But clearly speaking I never tried to get my poems to be published any where. This site has given me a birth as poet though I still think that I don't know the poetry but after reading the comments, I feel that there are persons who recognize my poetry.
What should I write more about myself. I am a very simple and nature loving person.A very sentimental person. Sometime I feel tears at the time of making some poetry.This is my brief introduction.Thanks.
I am a resident of Jaipur-the Pink City.
Published books :
1. Passion for Poetry (Joint publication)Manjul Parkashan
2. Humsafar (self poetry published by Mandvi Parkashan),Gaziabad
3. Akshron kee oat se (Joint ) published by shuktika prakashan, Kolkata
contact : 09269296121 - (sarnasushil@yahoo.com)
sushil sarna has written 791 poems. Visit Poet Page: sushil sarna
कुछ शेर अच्छे लगे. परन्तु -लफ़्ज़ खतूतों के तेरे तेरी तस्वीर के अलफ़ाज़ हैं
में प्रयुक्त शब्द अटपटे लगते हैं. खतूत स्वयं ख़त का बहुवचन है तो खातूतों कहना थोडा विचारणीय हो जाता है. तस्वीर के अलफ़ाज़ क्या मतलब क्या शब्द चित्र की बात कर रहे है. बेहतरीन शेर है-
चाहता है दिल उन्हीं के प्यार में मदहोश हो
जो न समझे आज तक प्यार की गहराईयाँ
@siddha nath singh,
रचना पर आपकी प्रतिक्रिया प्रशंसनीय है-आपका सुझाव सर माथे – रचना संशोधन के बाद प्रस्तुत है- आशा है पसंद आयेगी- सुझाव और प्रशंसा का हार्दिक शुक्रिया सिंह साहिब
@siddha nath singh,
रचना पर आपकी प्रतिक्रिया प्रशंसनीय है-आपका सुझाव सर माथे-आवश्यक संशोधन के बाद रचना पुनः प्रस्तुत है,आशा है आप संतुष्ट होंगे-इस बहुमूल्य सुझाव और प्रशंसा का हार्दिक शुक्रिया सिंह साहिब-अपना स्नेह बनाये रखिये
@amit478874,
अमित जी, रचना पर आपकी मनभावन प्रतिक्रिया और स्नेह का हार्दिक शुक्रिया-आप जैसा पाठक मिले तो रचनाकार तो कैसे अच्छा न रहेगा-इस प्यार का तहे दिल से शुक्रिया-आपका स्नेह बनाये रखिये
कुछ शेर अच्छे लगे. परन्तु -लफ़्ज़ खतूतों के तेरे तेरी तस्वीर के अलफ़ाज़ हैं
में प्रयुक्त शब्द अटपटे लगते हैं. खतूत स्वयं ख़त का बहुवचन है तो खातूतों कहना थोडा विचारणीय हो जाता है. तस्वीर के अलफ़ाज़ क्या मतलब क्या शब्द चित्र की बात कर रहे है. बेहतरीन शेर है-
चाहता है दिल उन्हीं के प्यार में मदहोश हो
जो न समझे आज तक प्यार की गहराईयाँ
@siddha nath singh,
रचना पर आपकी प्रतिक्रिया प्रशंसनीय है-आपका सुझाव सर माथे – रचना संशोधन के बाद प्रस्तुत है- आशा है पसंद आयेगी- सुझाव और प्रशंसा का हार्दिक शुक्रिया सिंह साहिब
@siddha nath singh,
रचना पर आपकी प्रतिक्रिया प्रशंसनीय है-आपका सुझाव सर माथे-आवश्यक संशोधन के बाद रचना पुनः प्रस्तुत है,आशा है आप संतुष्ट होंगे-इस बहुमूल्य सुझाव और प्रशंसा का हार्दिक शुक्रिया सिंह साहिब-अपना स्नेह बनाये रखिये
वाह सरना साहब ! मनभावन ! बहुत करीबी मामला !
किसी के चले जाने का गम नहीं,
अफ़सोस इस बात का है,
कोई बहुत करीब आकर वापस चला गया 🙂
@Harish Chandra Lohumi,
आपकी इस मनभावन प्रतिक्रिया का हार्दिक शुक्रिया हरीश जी
बहुत सुन्दर भावों के अंदाज़ और गहराइयाँ
पढ़कर बज रही हमारे में भी मन में शहनाइयाँ
“हमसफ़र अब हैं मेरी तेरी यादों की परछाईयाँ”
अब अपने बीच शुरू हैं असलियत की परेशानियाँ
@Vishvnand,
दिल का हाल सुने दिल वाला, सीधी सी बात न मिर्च मिसाला – तो आप ही अच्छी तरह गजल के भाव समझ सकते हैं- इस प्रशंसा का हार्दिक शुक्रिया सर जी
बहुत अच्छा लिखा है
@renukakkar,
Thanks a lot for such a nice appreciation renu jee
बहुत खूब सरना साहब..! अच्छी कविता है..! 🙂 वैसे आप कैसे है..बढियाँ..?
@amit478874,
अमित जी, रचना पर आपकी मनभावन प्रतिक्रिया और स्नेह का हार्दिक शुक्रिया-आप जैसा पाठक मिले तो रचनाकार तो कैसे अच्छा न रहेगा-इस प्यार का तहे दिल से शुक्रिया-आपका स्नेह बनाये रखिये
खुबसूरत अंदाज में लिखी गयी सुन्दर रचना – बधाई
आप की रचना में छिपी है प्यार की गहराइयाँ
@Swayam Prabha Misra,
आपकी इस सुंदर, मनभावन प्रतिक्रिया का हार्दिक शुक्रिया, प्रभा जी
बहुत खूब, खासकर –
‘चाहता है दिल उन्हीं के प्यार में मदहोश हो
जो न समझे आज तक प्यार की गहराईयाँ”
@Raj,
रचना पर आपकी सराहना मन को भा गयी, हार्दिक शुक्रिया राज जी
jyada uardu samjta nahi lekin kuch word jo hite hai vo mai sirf aapki rachna se hi sikhta hun:) jai shree krishna
@kishan,
इस मनभावन प्रतिक्रिया और स्नेह का शुक्रिया किशन जी