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प्यार की परिभाषा जाने बगैर ही मैने प्यार किया!
Feb 2011 Contest, Hindi Poetry |
प्यार की परिभाषा जाने बगैर ही मैने प्यार किया…………….
कैसे नजाने जुड़ गयी , आपकी खुशी से हमारी हँसी;
हर पल आपको ढूनडते ये नयन,जुड़ गयी चैन से हमारी बेबसी!
कहें क्या? इन झुकी पलकों को बस हमारी नादानी,
या चोरी छुपे आपको खोजती नज़रों को बचपन की शैतानी.
सपनों में सैकड़ो बार नयनों ने नयनों से इज़हार किया;
प्यार की परिभाषा जाने बगैर ही मैने प्यार किया.
जिया टटोल देने वेल आपके ख्वाब,
ना जाने कैसे बढ़ा देते है शयन का रुबाब!
जुड़ गयी यू कैसे की आपके आसू करने लगे हमारी आँखों को नम ;
दूर कर गयी आपकी तपिश हमारे अंधेरे जीवन का गम.
उनकी एक झलक ने हमारे हर लम्हे हो रिझा लिया;
प्यार की परिभाषा जाने बगैर ही मैने प्यार किया.
इश्तहार मे हुए इतने बावरे;ढूँढने लगे रोशनी मे अंधेरा,
जैसे जाग उठा हो वो लम्हा, जिसे था तुषार ने घेरा.
बस पाने आपकी एक मुस्कान,
मान कर गया सातों सागरों की तहानं.
याद मे आपकी तन्हाई मे ये मान मुस्का तो गया,
प्यार की परिभाषा जाने बगैर ही मैने प्यार किया.
हर घड़ी आपकी याद से मान बहलाते गये,
दिल मे छुपे असीम दर्द को बस सहलाते गये,
दिल का दीवानापन ना हो सका नज़म मे बयान,
शब्दो के बीच चिप सी गयी, हमारी मासूमियत और हया.
यू उनकी एक नज़र ने नज़ाने कितनी बार दिल पर वार किया;
प्यार की परिभाषा जाने बगैर ही मैने प्यार किया………….
रचना बहुत मन भायी.
हैं अंदाज़ खूबसूरत और रचना भी
पर बहुत से शब्दों की गल्तियाँ अखरतीं रहीं
कृपया जल्द खुद रचना पढ़ एडिट कर शब्दों को सुधार दीजिये जी
इस स्तिथि में तो rating होगी सिर्फ 2 star की ( Needs Improvement)
और अगले समय पोस्टिंग के वख्त इसका ध्यान रखना है जरूरी
इस रचना को rating मैं इसे आप edit कर सुधारने के बाद ही दूंगा ….
विश्व जी की टिप्पड़ी से काफी हद तक सहमत, ख़ुशी जी, पर इसके content को देखते हुए मै इसे ३ * देना चाहूँगा. Pl keep writing and sharing.
अच्छी रचना ! बधाई ! गलतियॉ सुधार दीजिये ।
प्यार की परिभाषा लिखने का कम्प्टीशन है आजकल, प्यार करने का नहीं 🙂