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मुझे रोने दो, सुख से….! (Geet)
Hindi Poetry |
The real recovery from an emotional hurt is, when in one’s feeling of hurt a realization dawns that he on his part should never venture to act or do anything to emotionally hurt any other individual, knowing what an emotional hurt is.
यह मेरा इक पुराना गीत, इसे नए तर्ज़ में गाकर इसके podcast के साथ प्रस्तुत करने में खुशी महसूस कर रहा हूँ …..
मुझे रोने दो, सुख से….!
मुझे रोने दो सुख से, दुःख मे …
दिल के हर इक कोने कोने ,
मुझे रोने दो सुख से, दुःख मे …..
इस बड़ी भरी दुनियां मे ,
इतने छोटे दिल क्यों होते हैं ,
बेकार की छोटी बातों मे,
इतने झगडे क्यों होते हैं ,
सब देख मुझे आदत सी है,
चुपचाप अकेले ही रोने…
मुझे रोने दो सुख से, दुःख मे …
दिल के हर इक कोने कोने …..
ऐसे न कभी मैं काम करूँ,
औरों को जिससे दुःख पहुंचे,
दिल ने थी खाई कसम कभी,
रो कर तेरी ही यादों मे………
मुझे रोने दो सुख से, दुःख मे
दिल के हर इक कोने कोने …..
दिल ने अपमान सहे कितने,
अभिमान मुझे पर इसका है,
चुपचाप सभी अपमानों को,
असुओं से धोया है मैंने..
मुझे रोने दो सुख से, दुःख मे …
दिल के हर इक कोने कोने ……
मुझे रोने दो सुख से, दुःख मे…
इस बड़ी भरी दुनियां मे ,
इतने छोटे दिल क्यों होते हैं ,
बेकार की छोटी बातों मे,
इतने झगडे क्यों होते हैं ,
सब देख मुझे आदत सी है,
चुपचाप अकेले ही रोने…
मुझे रोने दो सुख से, दुःख मे …
दिल के हर इक कोने कोने …..
वाह सर जी वाह मज़ा आ गया फिर वही जादू कलम का देखने मिला मेरी नज़रों को आपका शुक्रिया….
@shakeel
आपके कमेन्ट का तहे दिल से शुक्रिया …
हर बात का अंदाज निराला,
हर बात का गहन अर्थ निकला,
है किस अन्धकार की हिम्मत,
जो रोक सके आपकी बात का उजाला
एक भावनात्मक सत्य,मन को छू गया-हार्दिक बधाई सर जी
@sushil sarna
आपका सुन्दर कमेन्ट अपने आप में एक सुन्दर कविता है
कैसे आपका शुक्रिया अदा करूँ दिल लफ्ज दूंढ़ रहा है
हर आपकी प्रशंसा मेरे लिए तो इक बड़ा Healthy tonic है
सरल और सारगर्भित गीत.
@siddha nath singh
आपकी प्रतिक्रया का स-ह्रदय आभार.
आदरणीय विश्वनान्दजी ,बहुत ही प्यारा गीत, दिल की गहराई से निकला हुआ प्रतीत होता है खास ये पंक्तिया दिल को छु गयी I
‘दिल ने अपमान सहे कितने,
अभिमान मुझे पर इसका है,
चुपचाप सभी अपमानों को,
असुओं से धोया है मैंने.’
.संतोष भाउवाला
@santosh bhauwala
आपकी प्रतिक्रया और सराहना के लिए हार्दिक आभार.
ये पंक्तियाँ मुझे भी बहुत पसंद हैं पर इस रचना को जन्म देने वाली पंक्ति थी
“दिल ने थी खाई कसम कभी,
रो कर तेरी ही यादों मे………”
आपकी प्रतिक्रया ने मुझे यह बताने मजबूर कर दिया… 🙂
धन्यवाद्
बहुत खूब सर ! सरल शब्द चयन और कम शब्दों में वजनी रचना हलके फ़ुलके अन्दाज़ में !
मनभावन ! बार-बार सुनने को ललचे मन !
@Harish Chandra Lohumi
हार्दिक आभार
आपकी प्रतिक्रियाएं और उसमे कथन
हरदम मेरे भी बहुत सुहाए मन
प्रोत्साहित करते रहिये हमें यूं ही हरदम
और जरूर बताइये जब गल्त हों कोई कदम…..
dukh main rone do sukh se!kyaa baat hai—–aajkal dukh main bhi log such se rone tak nahi dete————– bahut badiya sir
@rajiv srivastava
कमेन्ट के लिए बहुत शुक्रिया,
याद आया, मेरी बिटिया जब छोटी सी थी और रो रही थी हम उसे समझा रहे थे तो बोली daddy मुझे मत समझाओ मैं थोड़ी देर रोना चाहती हूँ ,,, 🙂
बेनमून पंक्तियाँ…! लाजवाब..! 🙂
विश्वनंद जी,
आपकी मधुर आवाज़ और अतिसुन्दर भावों ने दिल मोह लिया.
मुबारक हो
जय हो.
सुन्दर गीत. Really liked it.