« वाबस्ता हरेक शय से तेरी याद है घर में. | गांधारी आँखे क्यो मूंद ली ! » |
यूँ तो दुनिया तमाम होती है
Hindi Poetry |
यूँ तो दुनिया तमाम होती है
शाम बस तेरे नाम होती है.
तेरे दर से कयाम करते हैं,
ज़िन्दगी बेमुकाम होती है.
रात जब ओढती है खामोशी
तू मेरी हमक़लाम होती है.
भूलती है फलक कहाँ चिड़िया
लाख वो जेरे दाम होती है.
रोशनी आज कल अंधेरों की
बस फ़क़त टीम टाम होती है.
शम्मा क्यूँ जोर से भभकती है,
जब लबे इख्तिताम होती है.
लबे इख्तिताम-समाप्ति के समीप,जेरे दाम-जाल में फंसी हुई
अच्छी रचना बधाई सर जी
@Abhishek Khare, धन्यवाद अभिषेक जी.
[…] This post was mentioned on Twitter by Ravishankar, naradtwits. naradtwits said: यूँ तो दुनिया तमाम होती है | p4poetry http://bit.ly/eMuzc3 […]
bahut khoob sir ji badahai
@rajivsrivastava, शुक्रिया राजीव भाई.
यूँ तो दुनिया तमाम होती है,
शाम बस तेरे नाम होती है.
तू-तू का नशा जिगर में मगर,
“वो” ही बदनाम होती है ।
बहक ना जाये कोई ! 🙂
@Harish Chandra Lohumi, धन्यवाद स्वीकारिये.