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“लिखी हुई हो गई अमर”
Hindi Poetry |
“लिखी हुई हो गई अमर”
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जो भी कविता लिखी किसी ने, वह हो जाती है अमर,
कोई पढ़े या नहीं पढ़े, इस से क्या फर्क पड़ा उस पर !
यदि भाषा और व्याकरण का उसमें है उच्च-श्रेणी स्तर,
पढ़ने या सुनने में हर कोई भी आनंदित होगा दिनभर !
कविता सदा स्वयं कहलाएगी इक श्रव्य-काव्य प्रस्तुति,
जिसका वाचन-पाठन कर्णप्रिय होगा जैसे होती स्तुति !
लिखते रहो निरंतर कविता अतिनिष्ठापूर्ण लगन से,
पकेगी अवश्य समय आने पर जैसे भोजन पके अगन से !
पक जाए कविता तब ही परोसो पद्य-मंच की थाली में,
रुचिकर होने पर प्रसादरूप सब चख लेंगे खुशहाली में !
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बहुत ही सुन्दर कबिता – बधाई सर जी , आप के बिचार पूरी तरह से सादगी और प्रेरणा से भरपूर हैं
@Swayam Prabha Misra,धन्यवाद,
स्वयं प्रभा जी !
पक जाए कविता तब ही परोसो पद्य-मंच की थाली में,
सटीक लिखा है सर जी, लेकिन…..
“जो भी कविता लिखी किसी ने, वह हो जाती है अमर,
कोई पढ़े या नहीं पढ़े, इस से क्या फर्क पड़ा उस पर !” …….. ये पंक्तियाँ यहाँ पर क्या कहना चाह रहीं हैं समझ न सका . बिना किसी के पढ़ने या ना पढ़ने से पता नहीं कोई कविता किस प्रकार के “अमरत्व” को प्राप्त कर पाती है यह तो कविता ही जाने .
फर्क कविता पर नहीं, वो तो कवि पर पड़ता है सर जी . वैसे मैं अधिक ज्ञानी नहीं हूँ फिर भी मैं चाहूंगा की मेरी इस प्रतिक्रया का प्रतिकूल फर्क किसी पर न पड़े .
@dp, धन्यवाद ! मेरा तात्पर्य है
कविता को इस मंच पर पढ़ने या न पढ़ने से ! कविता जो लिखी जा चुकी है वह तो
अमर होती ही है चाहे कहीं अन्यत्र भी क्यों नहीं या चाहे आपके पास ही रखी रहे तो भी और यदि वह खो जाए या नष्ट करदी जाए तो भी दिलों के अन्दर तो रहती ही
है !
@ashwini kumar goswami, धन्यवाद सर जी ।
sunder andaj,sunder arth wali kavita
@rajivsrivastava,हार्दिक धन्यवाद,
प्रिय राजीव !
बहुत सुंदर रचना, दादाजी .
मैंने भी आपकी कविता चख ली और सच कहूँ तो, मिठास भरपूर था .
@Yashwardhan Goswami,धन्यवाद,
प्रिय यश्वर्द्धन ! मैं भी तुम्हारी कविता देखने वाला हूँ ! प्रतीक्षा करो !
सुन्दर अर्थपूर्ण ये रचना
मन को भायी तक अन्दर
पढ़कर ये रचना बहु प्यारी
कवि की वृत्ति जाए सुधर ….
@Vishvnand,साभार धन्यवाद !
बहुत अच्छा लिखा है आप ने
@renu kakkar, हार्दिक धन्यवाद !
I like it.
@Raj, हार्दिक धन्यवाद !
दादू, आपकी बात में गूढ़ अर्थ छुपा हुआ है…एकदम सत्य…रचना अमर हो जाती है… 🙂
आपकी इस गूढ़ अर्थपूर्ण अमर कृति के लिए…बहुत-बहुत बधाई… 🙂
@P4PoetryP4Praveen,धन्यवाद,
प्रिय प्रवीण !
अच्छी पारिवारिक चलचित्र सी ! मनभावन !
@Harish Chandra Lohumi,धन्यवाद,
प्रिय हरीश !