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सजदों को अपने कोई एक खुदा दीजिये…..
Hindi Poetry |
खामोशियों की ये दिवार अब गिरा दीजिये
लब्जों को अपने हौसलों की जुबां दीजिये
ये क्या के हर दर पर झुका रखा है सर
सजदों को अपने कोई एक खुदा दीजिये
अब तारीकियाँ टपकने लगी है उजालों से
बेनूर हुए जो चराग़ अब उन्हें बुझा दीजिये
राख में दबी चिंगारियां भी हों शायद कहीं
यूं न बेवजह बातों को आप हवा दीजिये
राहों की दूरियाँ भी सिमट ही जायंगी कभी
बस आप दिलों की दूरियाँ मिटा दीजिये
दुआएँ सबकी लौट आई है वक़्त-ए-रुखसत
देखकर आप अब बस ज़रा मुस्कुरा दीजिये
बेक़रारी तशन्गी-ए-समंदर की सुन ए खुदा
लहरों ने कहा शकील ज़रा पानी पिला दीजिये
राहों की दूरियाँ भी सिमट ही जायंगी कभी
बस आप दिलों की दूरियाँ मिटा दीजिये
क्या बात है शकील भाई, बहुत सुंदर-इस सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई
बेहतरीन शायरी, बहुत खूब.
गज़ब की गज़ल ! मुबारकबाद !
भई वाह शकील जी बेहतरीन शायरी और अंदाज़
ऐसे ही आपकी ग़ज़लों और नज्मों का मज़ा हमें दीजिये
और यूं ही p4poetry पर बार बार और जल्दी जल्दी आया कीजिए …
Kudos
बेशक बेहतरीन…! तारीफ़ कने को अलफ़ाज़ नहीं मिल रहे..! खैर, rating के जरिये तारीफ कर देते है..! बहुत बढ़िया पंक्तियाँ…! 🙂
बहुत उम्दा ग़ज़ल. हर इक शेर काबिल-ए-तारीफ़.
५*, बहुत ही खूबसूरत !