"मार"
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कितने व्यापक रूप हैं 'मार' के व्यावहारिक बोल-चाल में,
शब्द बोध ही सूचक इनका होता है पृथक-पृथक पंडाल में !
यथा,+अंगूठामार,अंटीमार,+गप्पमार,चिड़ीमार,*चौकामार,
*छक्कामार,+छापामार,*जंगमार,झकमार,+झपट्टामार,+झान्कीमार,
*टंकारमार,+टक्करमार,+ठेठीमार,+डंडामार,डाकामार,*डींगमार,
तलवारमार,*तीरमार,तीसमार,+दंगलमार,धक्कामार,+धावामार,
+फबकीमार,+भरमार,भूखमार,मक्खीमार,मर्जीमार,मनमार,मारामार,
+रटमार,रोज़ीमार,रोटीमार,लट्ठमार,लातमार,लूटमार,+शर्तमार,
शर्ममार,+शेखीमार,+सपाटामार,+सीटीमार,हकमार,+हल्लामार,
क्षत्रियमार,+ज्ञापनमार आदिआदि में'मार'ही प्रयुक्त है बारम्बार!
जिन शब्दों के पूर्व सितारे अंकित हैं वो दर्शाते शुभ फलदायकता,
जिनके आगे+अंकित है उनकी है द्विभावी रूप में ही सम्यकता !
और नहीं जिनके पहले कोई भी चिन्ह अशुभकारी हैं लक्षण उनके,
दुष्प्रभाव दर्शाते ही रहते भिन्न-भिन्न परिस्थिति में चुन-चुन के
मात्र 'ना' को 'मार' के पीछे लगाने से कर्म-क्रिया बनती मारने की,
हो जाती पूर्ण प्रक्रिया 'मार' शब्द को भिन्न-भिन्न भांति उबारने की !
दुनियाभर में इस मारामारी का बोलबाला है आज यत्र-तत्र-सर्वत्र,
चाहे होते हों पृथक-पृथक, स्वार्थपूर्ति हेतु ही होजाते हैं एकत्र !
देश-राज्य का बंटवारा है इसी परिस्थिति का दुखद परिणाम,
ख़ास लोग खास ही रहते आये सर्वदा और आम लोग ही आम !
राजनीति,कूटनीति,छूटनीति,फूटनीति या लूटनीति है ये,पता नहीं?
दीन-दुखी,भूखे-प्यासे जो भी बसर कर रहे,उन्हें भी कोई खता नहीं!
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बहुत खूब. सुन्दर अर्थपूर्ण व्यंग
बहुत मनभावन
मार मार की ये भडिमार
मज़ा है करने अंगीकार
मन को ये बहु भायी यार
भाया बढ़िया ये अंदाज़
राजनीति है भ्रष्टाचार
जिनको पकड़ो हो बीमार
पोलिस हो जाती लाचार
hospital होता संचार
चलता चक्कर यूं ही यार
खाली इनके कर्म से होता
देश के पैसों का भण्डार …
@Vishvnand, बहुत खूब, महोदय !
डग्गामार और लट्ठमार छूट गय सर ! 🙂
बहुत अच्छे !
बडी तगड़ी मार ! 🙂
जी में बसी हमार । 🙂
बधाई !!!
@Harish Chandra Lohumi,डग्गामार
कोई प्रचलित शब्द नहीं है, डगरमार हो सकता है रे भैया, लट्ठमार अवश्य है जो यथास्थान कविता में पहले ही आया बैठा है, जिससे डरते रहो रे भैया !
मार का भंडार है गरीब लाचार अमीर बीमार है आपका व्यंग हमें स्वीकार है
५ स्टार का हक़दार यह व्यंग बारम्बार है
@Panch Ratan Harsh,सहृदय धन्यवाद,
प्रिय हर्ष !
बीमार नहीं दिखा तीमार नहीं दिखा पर जो भी दिखा काफी स्मारक और सीख देने वाला है.
@siddha nath singh,हिंदी भाषानुसार
यह ‘मार’ को प्रत्यय रूप दर्शाने की प्रक्रिया है ! बीमार, तीमार मेरी समझ में उर्दू भाषा के शब्द हैं जिसका आपको अधिक ज्ञान है और मैं अल्पज्ञ हूँ ! इन दोनों शब्दों
में संभवतः ‘मार’ प्रत्यय रूप में नहीं जुड़ा है ! साभार धन्यवाद !
* मक्खीमार 🙂 *मच्छरमार 🙂
+ पाकेटमार 🙂
मैंने सही चिन्हित किया है ना सर जी 🙂
@dp, मक्खीमार तो विराजमान है और
मच्छरमार उनको मारते मारते स्वयं बीमार होगया लगता है और पाकेटमार तब
हिरासत में होगा जो उसकी विरासत है ! सहृदय धन्यवाद !
@ashwini kumar goswami, अभी मेरे
सामने कोई छत पर लंगोटीमार दंड-बैठक मार कर हाँफ रहा है और एक तांत्रिक
किसी ओर मूठ मारने को तत्पर है !
@ashwini kumar goswami,
🙁
@dp, अरे ये भी भीड़ से निकल कर और
आ रहे हैं – तानामार, चमार, शालीमार, कुमार, बाज़ीमार, गालीमार, छज्जामार,
तालीमार, दगामार, पंछामार, तड़ीमार, थूंकमार, फूंकमार, बन्दूकमार, गोलीमार,
घोटामार, मिनखमार, paalatee maar, आदि आदि, इन्हैं भी आ जाने दो !
Liked it 🙂
@Raj, धन्यवाद !