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वैलनटाइन डे— मनाया क्या?
Hindi Poetry |
आज सुबह से ही बाज़ार मे हलचल थी ,
और दिनो के मुक़ाबले ज़्यादा चहल-पहल थी ,
हर तरफ दिल के रूप के गुब्बारे दिख रहे थे ,
कही पे कार्ड तो कही पे गुलाब बिक रहे थे !
रेस्टुरेंट के सारे टॅबेल पहले से ही बुक थे ,
आज सब से ज़यादा बिज़ी इनके सारे कूक थे ,
कोई अपनी ग्र्ल्फ्र्न्ड को गिफ्ट दे के रिझा रहा था ,
तो कोई अपने बाय्फ्रेंड को चूना लगा रहा था !
यहाँ तक के बड़े -बूजुर्ग भी आइ लव यू कह रहे थे ,
अपने दिन याद कर कोने मे बैठे आहे भर रहे थे ,
कहते है प्यार का इज़हार करने को ये दिन बना है ,
तो भैया! क्या बाकी दिन ये सब करने को मना है?
सोचता हूँ !ये रश्म शायद उन लोगो ने बनाई है ,
जिन लोगो को इससे होती बड़ी मोटी कमाई है ,
आप के ईमोसन की यहाँ किसे फ़िक्र है ,
कैसे इस दिन को कैश करें यही एक ज़िक्र है !
तो बेटा!क्यो अपने माँ बाप की कमाई लूटाता है ,
क्यो! जानबूझ कर खुद को यूँ उल्लू बनाता है ,
कर्म ऐसा करो की अगला तुम मे खो जाय ,
एक नज़र देख ले और खुद तेरा हो जाय !
किसी को बुरा लगा हो तो– फिर सोचना
(Aisa main sochta hun)
डॉक्टर राजीव श्रीवास्तवा
बात सच बहुत उल्लू जैसी ही हो गयी है
जो valentine के दिन उल्लू बनते हैं
वो तो यही सोचते हैं
कि जो valentine day नहीं मनाते
बारह महीने प्यार कर जीते हैं .
वो ही असल में आज के उल्लू हैं
ज़माना ही जब उल्लुओं का हुआ है
तो बेचारे बचे हुए इंसान
किसको कुछ समझा सकते हैं ….?
सुन्दर रचना … मन भायी ….बधाई
किसी को बुरा लगा हो तो– फिर सोचना,
(Aisa main sochta hun)……लिखने की आवश्यकता नहीं है राजीव जी 🙂
वैसे मैं फ़िर नहीं सोचूँगा 🙂
अच्छी लगी ।
veri nice Rajeev..! I rally liked it very much..! 🙂
अच्छी और मजेदार रचना – बधाई