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एक नज़र, एक समां…भर का
Hindi Poetry |
एक नज़र, एक समां, चाँद आने भर का
एक पल चाहूँ हसीं तेरे मुस्कुराने भर का
कर दूँ रुख तेरा चौदहंवीं पर माह-ए-ताब
चाँद फिर रह जाएगा वो कहलाने भर का
रात की दाद-ए-वफ़ा रोज़ ही रास्ता तके
हरजाई तू तो है दिलबर दीवाने भर का
ख्वाहिशें जीने की तुझको बेशुमार आँख में
एक ही अरमान तुझ पे मर जाने भर का
जाम को हर्ज़ से क्यों चांदनी भर दे मुझमें
देख कर न तक़ल्लुफ़ तू अब ज़माने भर का
एक नज़र, एक समां, चाँद आने भर का
एक पल चाहूँ हसीं तेरे मुस्कुराने भर का
अच्छा अंदाज़ . बधाई .