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जब छोड़ गया तनहा, जो आँख का तारा था.
Hindi Poetry |
लहरें भी मुखालिफ थीं और दूर किनारा था.
गिर्दाब में किश्ती को जब हमने उतारा था.
दरयाफ्त किया सबने ये हाल किया किसने ,
कैसे मैं बता देता जो नाम तुम्हारा था.
एक पल की खिजां ही ने सब रंग मिटा डाले
जिनको कि बहारों ने बरसों में निखारा था .
दुनिया के तकाजों से दम भर न मिली फुर्सत,
तुमको न भुला देते तो और क्या चारा था.
वो चाँद सितारों का करता भी तो क्या करता
जब छोड़ गया तनहा, जो आँख का तारा था.
थी जंग क़यामत की और ज़ंग लगी तेगें,
लड़ने के लिए जिस दम दुनिया ने पुकारा था.
अंजामे वफ़ा आखिर निकला भी तो क्या निकला,
आँखों में भरा पानी,हाथों में शरारा था.
दिल तुझसे लगा कर गो जीना न रहा आसां
दुनिया में तने तनहा कब सहल गुज़ारा था.
वाह ! गज़ब अन्दाज़ ! बधाई !!!
@Harish Chandra Lohumi, shukriya harish ji .
bahut hi sunder rachna sir ji ! aap ki rachnaye samajhne ki bahut koshis karta hun par aap jis star ka likhte hai usse samajhne me abhi thoda samay lagega shayad —isliye aap ki rachnao pe comment karne ka sahas nahi hota hai.jitna bhi samah aat hai wo lajavab hota hai
@rajivsrivastava, aap ki saafgoi aur aap ki vinmrata aap ki shaksiyat me chaar chaand lagati hai, ye meri badkismati hai ki main durooh hun, klishtata koi gun nahin hai aur main apne durgun ka aitraaf karta hun, kshama karen.
अति सुंदर बधाई
@dr.ved vyathit, dhanyavad doctor sahab.
बहुत खूबसूरत और मनभावन
हार्दिक बधाई
“दुनिया के तकाजों से दम भर न मिली फुर्सत,
तुमको न भुला देते तो और क्या चारा था….” बहुत खूब
ना मूड था जो बेहतर माहौल ने था डाला
पढ़ कर ये आपकी से पाया मूड फिर प्यारा सा… …
@Vishvnand, aap ki hausla afzayi ka shukriya/
दर्द के एहसास में डूबी, दिल की तहों को छूती, ज़बरदस्त लफ़्ज़ों से सजी, एक कसी हुई 5 ***** योग्य रचना… 🙂
@P4PoetryP4Praveen, thanks a lot.
बहुत बढ़िया हमेशा की तरह 🙂
@prachi sandeep singla, shukriya prachi, you are so appreciative.