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प्यार पे विश्वास!
Hindi Poetry |
आज जिंदगी के इस मोड़ पे अकेला खड़ा हूँ,
ना कोई अपना ना हमदर्द समझ आता है,
जिस पर किया था सब से ज़यादा यकीन हम ने,
वही गैरो के कितना करीब नज़र आता है!
औरो के चहेरे की शिकन भी दिख जाती है उन्हे,
मेरी आँखो का दर्द बेकार समझ आता है,
मेरा रूठना जिनके लिए कयामत था कभी,
आज उन्हे चहेरे पे लगा एक नकाब नज़र आता है!
वो किसी ओर पे इतना विश्वास कर बैठे है,
मेरा समझना उन्हे नागवॉर समझ आता है,
मेरी बातो मे मेरी खुदगर्जि दिखती है उन्हे,
कुछ लोगो को चाँद मे बस दाग नज़र आता है!
एक दिन खुद समझ जायेंगे मेरे दिल को,
आज जो उन्हे टूटा हुआ सामान समझ आता है,
मेरी बाहो मे ही तुम्हे चैन मिलेगा अंत मे,
मुझे मेरे प्यार पे ये विश्वास नज़र आता है!
डॉक्टर राजीव श्रीवास्तवा
सुन्दर सी रचना जंची
तकलीफ है, पर मन भायी
जिस मूड में लिखी उस मूड का कमाल है
वरना ऐसे ख़याल तो प्यार में temporary ही बात है
रचना के अंदाज़ के लिए बधाई
commends
@Vishvnand, bahut bahut dhanyavad sir,ye ek us saks ke dil ke baho hai jo kisi ki bewafai se dukhi hai
मेरा रूठना जिनके लिए कयामत था कभी,
आज उन्हे चहेरे पे लगा एक नकाब नज़र आता है!
बहुत अच्छा अन्दाज़ !
लगता है पहले जख्म दिये गये, फ़िर कुरेदे गये ।
@Harish Chandra Lohumi, is pyare comment ke liye dhanyavad Harish ji!