« माँ के फटे हुए दामन की ओट से | Neem flower’s message. » |
कैसी तेरी नज़रों की है तासीर ,खुदा खैर.
Hindi Poetry |
कैसी तेरी नज़रों की है तासीर ,खुदा खैर. तासीर-प्रभाव
चुभती हुई दिल में कोई शमशीर खुदा खैर. शमशीर-तलवार
हम यूँ भी तेरे दाम में दिन रात फंसे हैं, दाम-जाल
अब खोल भी दे पाँव की ज़ंजीर,खुदा खैर .
तिनका तुझे औरों का गज़बनाक दिखे है,
खुद अपनी नज़र आये न शहतीर ,खुदा खैर.
हमने तेरी चाहत में है एक उम्र बितायी,
और तू है रकीबों का बगलगीर,खुदा खैर. रकीब-प्रतिद्वंद्वी
दुनिया में कोई दुःख भी हमेशा नहीं रहना,
हंस बोल न यूँ बैठ तू दिलगीर ,खुदा खुदा खैर.
दिलगीर-भग्न हृदय
दुनिया में कोई दुःख भी हमेशा नहीं रहना,
हंस बोल न यूँ बैठ तू दिलगीर ,खुदा खुदा खैर.
सच कहा
@chandan, thanks chandan ji.
Good imagery and excellent thoughts…..sarala
@SARALA, i am highly obliged,thanks.
मने तेरी चाहत में है एक उम्र बितायी,
और तू है रकीबों का बगलगीर,खुदा खैर.
क्या बात कह दी एस एन साहब !
@Harish Chandra Lohumi, aap kya kahna chahte hain khula nahin fir bhi dhanyavad harish ji.
sundar manbhaavan aur arthpoorn
@Vishvnand, thanks vishv ji