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कैसी तेरी नज़रों की है तासीर ,खुदा खैर.

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Hindi Poetry

कैसी तेरी नज़रों की है तासीर ,खुदा खैर.   तासीर-प्रभाव

 

चुभती हुई दिल में कोई शमशीर खुदा खैर.   शमशीर-तलवार

 

 

 

हम यूँ भी तेरे दाम में दिन रात फंसे हैं,    दाम-जाल

 

अब खोल भी दे पाँव की ज़ंजीर,खुदा खैर .

 

 

 

तिनका तुझे औरों का गज़बनाक दिखे है,

 

खुद अपनी नज़र आये न शहतीर ,खुदा खैर.

 

 

 

हमने तेरी चाहत में है एक उम्र बितायी,

 

और तू है रकीबों का बगलगीर,खुदा खैर.   रकीब-प्रतिद्वंद्वी

 

 

 

दुनिया में कोई दुःख भी हमेशा नहीं रहना,

 

हंस बोल न यूँ बैठ तू दिलगीर ,खुदा खुदा खैर.
दिलगीर-भग्न हृदय

8 Comments

  1. chandan says:

    दुनिया में कोई दुःख भी हमेशा नहीं रहना,
    हंस बोल न यूँ बैठ तू दिलगीर ,खुदा खुदा खैर.
    सच कहा

  2. SARALA says:

    Good imagery and excellent thoughts…..sarala

  3. Harish Chandra Lohumi says:

    मने तेरी चाहत में है एक उम्र बितायी,
    और तू है रकीबों का बगलगीर,खुदा खैर.

    क्या बात कह दी एस एन साहब !

  4. Vishvnand says:

    sundar manbhaavan aur arthpoorn

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