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गीत मत गाओ
Hindi Poetry |
गीत मत गाओ
गीत मत गाओ सभी कुछ ठहर जाता है
गीत मत गाओ ये दरिया बहक जाता है
गीत को सुन कर परिंदा लौट आता है
गीत को सुन कर उड़ाने भूल जाता है
रोकना चाहो समय को तुम सुरीली तन से
पर समय तो और भी कुछ दूर जाता है
दर्द में भीगे हुए फाहे रखो मत घाव पर
घाव इस से और ज्यादा गहर जाता है
ये सुरीली तन तो नश्तर चुभोती है
तन मत छेड़ो वो उड़ना भूल जाता है
जब नदी ही ठहर जाती है रवानी छोड़ कर
फिर उसे बादल संदेशा आ सुनाता है ||
बहुत प्यारी अभिव्यक्ति
पढ़कर होवे मन की तृप्ति
हार्दिक बधाई…
गीत मत गाओ ये कहना सहज होता है
गीत ना गाना नही मुमकिन ये होता है….
@Vishvnand, ashirvad के लिए सदर आभर
aisa geet jo sab jagah dahroa la de-is umda geet ko to gana hi chahiye——bahut hi manbhavan rachna sir ji!
@rajiv srivastava, आप का प्यार बना रहे बीएस यही सब कुछ है
हार्दिक आभार
मनभावन अभिव्यक्ति .
@Harish Chandra Lohumi, बहुत २ हार्दिक आभार है भाई
manohari kavita parantu tan ki jagah taan hona chahiye kyon doctor shab.
@siddha Nath Singh, बन्धु बहुत २ हार्दिक आभार स्वीकार करें
आप ने ठीक कहा है पोस्ट तो मैंने तान ही किया था पर पता नही कैसे तन हो गया यह कई बार हो जाता है इसे तान ही मने
बहुत सुन्दर! पर शायद तन की जगह तान होना चाहिया था|
@parminder, परमिन्द्र जी आप का स्नेह है यह निरंतर बना रहे
मैंने पोस्ट तो तान ही किया था पर पता नही कैसे तन हो गया आप इसे तान ही माने
बहुत २ हार्दिक आभार स्वीकार करें
बहुत सुन्दर Dr sahab
@chandan, भाई आप का प्यार है यह सब और कुछ नही बीएस इसे निरंतर बनाये रहिये
बहुत २ आभार
मनभावन रचना
@Jaspal Kaur, जसपाल जी सायद आप ने पहले भी मेरी रचना को प्यार दिया है इसे निरंतर बनाये रहिये
आप का बहुत २ हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ स्वीकार करें