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वेदना

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Hindi Poetry

रोऊँ मैं याद कर  अपना भीगा आँचल

जो कभी था मेरी आँखों का तारा

इक कदम भी न बढाता

थामे बगैर हाथ मेरा

आज पथरा गयी हैं आँखें

उस चौराहे उस आँगन को निहारते

जहाँ गूंजती थी कभी

‘माँ माँ’ की मधुर आवाज़ …

यह आँख बंद होने से पहले

साँसों कि डोर टूटने से पहले

एक बार करा जा मुझे

माँ , होने का वो मधुर एहसास ..!

~04/04/2011~

 

2 Comments

  1. s.n.singh says:

    marmik aur madhur kavita may bhavodgaar.

  2. Vishvnand says:

    बहुत सुन्दर मार्मिक दिल टटोलने वाली रचना
    प्रशंसनीय, हार्दिक बधाई,

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