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हर शख्स यहाँ भिखारी है!
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हर कोई खड़ा है हाथ फैलाए ,यहाँ माँगने की बीमारी है,
राजा हो या रंक हो ,हर शख्स यहाँ भिखारी है!
माँग -माँग के उमर बीत गयी ,फिर भी माँगना जारी है,
माँगने मे लाज है कैसी, हर शख्स यहाँ भिखारी है!
किसी को दौलत का नशा है,किसी को पेट की लाचारी है,
माँगना बन चुकी है आदत,हर शख्स यहाँ भिखारी है!
कोई नोट माँगता धन्ना सेठ है,कोई ढोंगी मंदिर का पुजारी है,
अलग अलग शख्सियत है,पर हर शख्स यहाँ भिखारी है!
कोई चढ़ाता सोने की माला.कोइ लड्डू से करता तीमारदारी है,
मन मे और पाने की आस है,हर शख्स यहाँ भिखारी है!
रिश्वत माँगे,वोट माँगे,पर खुद को कहते अधिकारी हैं,
अधिक है तभी है अधिकारी,फिर भी हर शख्स यहाँ भिखारी है!
अभी माँग कर बना है नेता,अब और माँगने की तैयारी है,
माँगे ना मिला तो छीन लेते,ये शख्स भी अजब भिखारी है!
भूखा ही पैदा हुआ था,भूखा मरना ही मजबूरी है,
कम मे संतोष क्यो नही,क्यो हर शख्स यहाँ भिखारी है!
डॉक्टर राजीव श्रीवास्तवा
अच्छी रचना , बिलकुल सही कहा आपनें राजीव , हर शख्स यहाँ भिखारी है
@Swayam Prabha Misra, sahirday dhanyavad
बहुत बढ़िया अंदाज़ की सुन्दर मनभावन प्रभावी रचना
हार्दिक बधाई
Rating = 4 stars
बात तो ये बहुत भारी है, हर इंसान यहाँ भिखारी है
पर जो मांग जिसके पीछे भाग रहा वही बड़ी बीमारी है
अगर मांगे प्रेम, जो कुछ है उसमे ही अपना समाधान
प्रभु से प्रार्थना में मांगे दुनिया में सब का कल्याण
वो भिखारी है सच्चा इंसान, रहे परम सुखी, पास भागवान …..
@Vishvnand, kash ye baat sab ke samajh me aajati–bahut hi sunder pratikiriya ke liye dhanyavad
Hi
very commendable ! yes, all are born ‘ Bhikaris ”
sarala
@SARALA, thanks for comments its really a booster
bahut badiya rachan sir…
kafi gambhir or vastvik vivechan….
@Anju singh, bahut bahut dhanyavad
सत्य वचन !
@Harish Chandra Lohumi
,dhanyavad
कम मे संतोष क्यो नही?
किसी को काम नहीं करना
मुफ्त का समेटना!
तोह ही दुनिया मह इकोनोमिक आह्काल पढ़ा हैं
,क्यो हर शख्स यहाँ भिखारी है!
[…] हर शख्स यहाँ भिखारी है! […]
सत्य वचन फरमाया आपने, हर किसी का हाथ फैला ही दिखता है यहाँ|
रचना अच्छीहै बधाई
रचना सुन्दर है शुभकामनायें
simply awesome….!
aap likhte rahe…
accha lagta hai accha kuch padhna,
accha lagta hai acche ke saath badhna…
accha lagta hai acchhai dekh kar,
accha lagta hai, acchai ke liye ladhna…!
likhte rahe, ek din awashya sakaratmak badlaaw layegi hum sabki sacchi aur acchi bhawna…!
God bless you!