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हर शहर से एक अण्णा !

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Apr 2011 Contest, Hindi Poetry

आज फिर किसी ने सरकार को ललकारा है,

भ्रष्टाचार के खिलाफ बुलंद किया एक नारा है,

युग बदला,समय बदला पर अन्याय जारी है

जाग उठो देशवासियों अब हमारी बारी है!

 

क्यों आज भी हम सच बोलने से घबराते है,

एक बुलंद आवाज़ को लोग तरस जाते हैं,

साहस और संकल्प ना जाने कहाँ छूट गया,

लड़ सके अन्याय से ये हौसला भी टूट गया!

 

अन्याय सह कर जीने की आदत ऐसी हो गयी,

देशभक्ति और ईमानदारी शब्दकोष मे ही खो गयी,

आज अगर हम दिखते बेबस और लाचार हैं,

इसके लिए “भाई” हम खुद ही ज़िम्मेदार हैं!

 

हमारी चुप्पी ही देशद्रोहियों के हौसले बढ़ाती है,

तभी ग़लत काम करने की इन्हे आदत पड़ जाती है,

भ्रष्टाचार और कालाबाज़ारी ने हर तरफ आग लगाई है

इन्ही के कारण देश मे बढ़ रही महँगाई है!

 

जब भी कोई हमदर्द बन कर आगे आया है,

देश के हर बंदे ने उसका साथ निभाया है,

जिस राह पे चल कर गाँधी ने विजय पाई थी,

उसकी एक झलक ने ही सरकार की नींद उड़ाई है !

 

गाँधी हो या अण्णा दोनो ने हमे सिखाया है,

एक साथ खड़े होकर हमने सब कुछ पाया है,

अण्णा की इस आगाज़ को अंजाम तक पहुँचना है,

भ्रष्टाचार के दानव को जड़ से हमे मिटाना है!

 

हे हिंद देश के वशियो फिर वही समय आया है,

अंग्रेज़ो ने नही,  इस बार अपनो ने हमे रूलाया है,

जिस दिन हर शहर से एक अण्णा आगे आयेगा,

धरती माँ का दामन फिर पाक साफ हो जायेगा!

 

 

डॉक्टर राजीव श्रीवास्तवा

 

6 Comments

  1. Vishvnand says:

    बहुत सुन्दर सामयिक और उत्तम अर्थपूर्ण रचना .
    बहुत मन भायी
    हार्दिक बधाई …

    अण्णा के आन्दोलन से जनता ने धीरज पाया है
    जनता को अब इक होकर रिश्वत को मार भगाना है
    पर नेता जो भ्रष्ट रहे हैं दाव पेंच अब खेल रहे
    आन्दोलन को असफल करने वो भी मिलकर जुटे हुवे
    जनता के नव नेताओं पर अंट सन्ट बकते रहते
    पर अब बारी जनता की है उनको सबक सिखाना है
    उनकी नीति फूट डालती उससे बच कर रहना है
    अण्णा के आन्दोलन को जनता का हमें बनाना है
    भ्रष्टों की चालों से हमको डटकर जमकर लड़ना है
    बहकावे नहीं आना है एकजूट हो लड़ना है
    जबतक सफल नहीं हो जाते हमको लड़ते रहना है….

  2. amit478874 says:

    बहुत ही अर्थपूर्ण रचना..!

    “भ्रस्टाचार के चंगुल से तुम कब छुटोंगे…
    भेडियें भी अब तो यहाँ पे सुधर चूके है…
    हे “नेता”, अब तुम कब सुधरोंगे…!” 🙂

  3. Harish Chandra Lohumi says:

    बहुत अच्छी रचना राजीव जी ! बधाई !

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