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आयेंगे आप जब से है हमको खबर लगी .

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Hindi Poetry
आयेंगे   आप जब  से  है  हमको  खबर  लगी . 
आँखें  न एक पल को मेरी रात भर लगी.
 
दिल में जले हुए हैं उमीदों के सौ चिराग,
कब  से निगाह अपनी सरे रहगुज़र लगी.
 
कर देगी सोच लीजिये जीना भी ये मुहाल,
छूटेगी  फिर न, इश्क की आदत अगर लगी.
 
चलिए मैं मान लूँ कि जियाले बहुत हैं आप,
चोटें क्यूँ सब  की सब हैं मगर पुश्त पर लगीं.
 
नापी गयी न हमसे ये तूले शबे फ़िराक,
फिर क्यूँ शबे विसाल बहुत मुख़्तसर लगी.
 
सबसे शहर में घुल के बड़े प्यार से मिली,
लड़की हक़ीक़तों से बड़ी बेखबर लगी.

2 Comments

  1. Harish Chandra Lohumi says:

    क्या बात है एस. एन. साहब !
    क्या नहीं है इस ग़ज़ल में !

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