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“छुन्नू-मुन्नू”

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Hindi Poetry
“छुन्नू-मुन्नू”
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छुन्नू:–  “मुन्नू, अले ओ मुन्नू, दला दल्दी छे  इधल आ तो,”
“देथ, दला भधवान तो तेले मोबाइल छे फोन लदा तो” !
“मुधे दलूली बात तलनी है तुलंत दौल तल आ, दल्दी तल” !
“आद छन-डे है न, स्तूल ती तो आद थुत्ती ही तो है !”
मुन्नू: —      “ठीक है, पर तू भगवान जी का फोन नंबर क्या है बता” ?

छुन्नू: — “अले, बदे भैया !, “भधवान ता तोई फोन नम्बल होता है त्या” ?
“वह तो हल ददह होता है, हलेक नम्बल पल बोल छकता है” !
“तलो, मैं बिना फोन किए ही आवाद देता हूँ, भाध्यवान :
छुन्नू: — “अले ओ  भधवान dee ले ! ओ भधवान dee, बोलते त्यों नहीं” ?
“तुम तो हल ददह होते हो तो दलूल ही थले हो यहीं तहीं” !
“मैं तितनी दोल छे तिल्ला लहा हूँ, बोल दाओ न प्लीद” !
“भधवा-आ-आ-आ-न, हे मेले पाले पाले भदवान, प्लीद !
? ? ? ? ? ? ? ?


2 Comments

  1. manojbharat says:

    Bal-manovigyan or manobhavon ka sunder satik chitran.
    EK poorn masumiyat bhari rachana.

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