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हमनवां
Hindi Poetry |
हमनवां
जीवन में ओर भी गम थे एक इस गम के सिवा
सोचा न था ये गम इस कदर रख देगा हमें हिला
जब तुम थे खुशियाँ थी , बदली बदली सी थी हवा
अब ये आलम है कुछ ओर नहीं है नाउम्मीदी के सिवा
याद आता है तुम्हारा हंसना- हँसाना खिल- खिलाना
अब न लबों पर हंसी है न ही वो हंसाने वाला हमनवां
जीवन तो चल रहा है उसी भांति अपने ढर्रे पर जर्रा जर्रा
कुछ न लगता भला, याद में तुम्हारी आंसू बहाने के सिवा
पहले तो कभी तुम्हारा न होना किसी पर्व पर, इतना न खला
आस के सारे धागे छिटक गये, देख कर भर आया गला
समझा न था, जाना न था, क्यूं इतना अहम् होता है हमनवां
खोकर ही जाना, कर रहा था राहें आसां, खुद को कांटो पर चला
सादर संतोष
good one !
thanks a lot
looks like a hearty tribute to a particular dear one.
I wrote for one of my relative’s feeling [that he was feeling after missing his dear one]
Ati sunder
शुक्रिया
रचना सुन्दर और भावनिक
commends
आशीर्वाद के लिए आभारी हूँ