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हमनवां

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Hindi Poetry

हमनवां

जीवन में ओर भी गम थे एक इस गम के सिवा

सोचा न था ये गम इस कदर रख देगा हमें हिला

जब तुम थे खुशियाँ  थी , बदली बदली सी थी हवा

अब ये आलम है कुछ ओर नहीं है नाउम्मीदी के सिवा

याद आता है तुम्हारा हंसना- हँसाना खिल- खिलाना

अब न लबों पर हंसी है न ही वो हंसाने वाला हमनवां

जीवन तो चल रहा है उसी भांति अपने ढर्रे पर जर्रा जर्रा

कुछ न लगता भला, याद में तुम्हारी आंसू बहाने के सिवा

पहले तो कभी तुम्हारा न होना किसी पर्व पर, इतना न खला

आस के सारे धागे छिटक गये, देख कर भर आया गला

समझा न था, जाना न था, क्यूं इतना अहम् होता है हमनवां

खोकर ही जाना, कर रहा था राहें आसां, खुद को कांटो पर चला

 सादर  संतोष

8 Comments

  1. Shilpa Saxena says:

    good one !

  2. s.n.singh says:

    looks like a hearty tribute to a particular dear one.

    • santosh bhauwala says:

      I wrote for one of my relative’s feeling [that he was feeling after missing his dear one]

  3. manojbharat says:

    Ati sunder

  4. Vishvnand says:

    रचना सुन्दर और भावनिक
    commends

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