« तुम आओ तो बरसे सावन | चल नशेमन बुनें इक नयी शाख पर » |
इससे पहले कि अश्क ढल जाएँ
Hindi Poetry |
इससे पहले कि अश्क ढल जाएँ
बज्मे यारां से चल निकल जाएँ.
मिन्नतें छोड़ कीजिये कुछ भी,
कुछ तो हालात ये बदल जाएँ.
हम न बरतें जो एहतियात अगर
दांव सब दुश्मनों के चल जाएँ.
आप टुक दीजिये करम फरमा,
अपने अरमान भी निकल जाएँ.
बज़्म आमादाये समात(1) जो हो, (1) sunane ke liye udyat
हम भी कह के कोई ग़ज़ल जाएँ.
यूँ न आता तो ख्वाब में ही आ,
हम भी कुछ देर को बहल जाएँ.
हम न बरतें जो एहतियात अगर
दांव सब दुश्मनों के चल जाएँ.
यूँ न आता तो ख्वाब में ही आ,
हम भी कुछ देर को बहल जाएँ.
बहुत खूब
@chandan, dhanyavad chandan ji aap kee mehrabani ka aabhaar.